वुहान की तरह ऐसे करना है भारत को लॉकडाउन का पालन

वुहान के लोग किस तरह से पिछले दो महीने से लॉकडाउन में हैं, हमारे लिये बहुत जरूरी है जानना और उससे भी जरूरी है इस अनुभव से सीखना क्योंकि कोरोना को हमें स्टेज थ्री पर नहीं जाने देना है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 29, 2020, 12:23 AM IST
    1. 22 जनवरी को हुआ था लॉकडाउन
    2. शुरू की सक्रिय ऑनलाइन मदद
    3. एक दूसरे की तकलीफें बांटते रहे
    4. वर्चुअल डांस पार्टीज सेलिब्रेट की
वुहान की तरह ऐसे करना है भारत को लॉकडाउन का पालन

नई दिल्ली: कोरोना सिटी वुहान के लोग 2 महीने से लॉकडाउन में हैं. जिस अनुशासन का परिचय देते हुए वे इस लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं, भारत के लिए ही नहीं दुनिया के लिए बड़ी सीख है. हम सभी सीख वुहान से सीख सकते हैं कि लॉकडाउन में कैसे रहा जाए.

22 जनवरी को हुआ था लॉकडाउन

कोरोना संक्रमण का पता दिसंबर के आखिरी हफ्ते में चला. कोविड- 19 के पहले मामले के साथ ही  सरकार गंभीर हो गई और  22 जनवरी के आते आते पूरे हुबेई प्रांत को लॉकडाउन कर दिया गया. सरकारी आदेश ने लोगों को होम क्वेरेंटाइन कर दिया. अब दो महीने बाद सरकार ने शहर को एक राहत की  खबर दी है कि अगर संक्रमण के मामले पूरी तरह से बंद हो गए तो 8 अप्रैल से हुबई प्रांत पूरी तरह लॉकडाउन से मुक्त हो जाएगा.

एक दूसरे की मदद की

वुहान कोरोना सिटी है लेकिन यहां के चीनियों ने दो महीने चले इतने लंबे प्रतिबंध का पालन पूरी दृढ़ता से किया जिसे भारत को सीखने की जरूरत है. जब वुहान के नागरिकों को लगा कि क्वारेन्टाइन लंबा खिंचने जा रहा है तो उन्होंने एक-दूसरे की मदद करनी शुरू कर दी.

चीन के स्थानीय सोशल मीडिया ग्रुप सीएओ को की मदद से ग्रुप बनाये गए.  कॉलोनी के लोग एक-दूसरे से की जरूरतें पूरी करने लगे. इस तरह के 50 से 500 लोगों के ग्रुप बने. किसी भी ग्रुप में जब कभी खाना, दवा, दूध जैसी आवश्यकता किसी को होती तो 2 लोग मिलकर सामान लेकर आते. ये डिलीवरी का काम रोटेशन पर चलता था  ताकि संक्रमण कम से कम फैले.

शुरू की सक्रिय ऑनलाइन मदद

व्हाट्सअप ग्रुप के सदस्यों ने सारी ऑनलाइन या सुपरमार्केट से सारी खरीददारी एक ट्रांजेक्शन पर करनी शुरू की. इससे सुपरमार्केट में काम करने वालों का काम आसानी हुआ और उनके लिए भी इस संक्रमण से दूर रहने का अवसर बना. यह ग्रुप सूचनाएं शेयर करके भी एक दूसरे को सचेत रखता था ताकि कोई गलत दवाई का सेवन न कर ले और उसकी बजाये अस्पताल जाए. ग्रुप ऐसी हर सूचना को कन्फर्म करता था और अफवाहों को फैलने से रोकता था.

इस  सिआओ को (xiao qu) का चीनी भाषा में अर्थ होता है - छोटे जिले. ये ग्रुप छोटे छोटे जिले स्तर पर इस महानगर में काम कर रहे थे और अपने सदस्यों की आपसी मदद कर रहे थे.

एक दूसरे की तकलीफें बांटते रहे

सोशल डिस्टेंसिंग के सरकारी आदेश को लोगों ने ईमानदारी से माना. इस दौरान लोगों ने अपने परिवार के अलावा किसी दूसरे की शकल नहीं देखि.  घुमना-फिरना तथा हर सामाजिक उत्सव पूरी तरह से बंद रहा. पूरे समय लोग ग्रुप के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े रहे. लोग एक दूसरे की तकलीफे और अकेलापन भी दूर करने की कोशिश करते रहे.

वर्चुअल डांस पार्टीज सेलिब्रेट की

ग्रुप के माध्यम से लोग कभी-कभी वर्चुअल डांस पार्टी सेलिब्रेट की जाती रही. इस दौरान लोग अपने घरों पर वेब कैम के जरिए कनेक्ट होकर एक साथ डांस करते और एक-दूसरे से जुड़ा महसूस करते. ये भी काफी काम आया.

स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा

इस घरबंदी के दौरान मानसिक रूप से सशक्त रहने के साथ ही शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहना आवश्यक था. इसलिये लोगों ने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा और वुहान के लोगों ने घर ने भीतर ही व्यायाम करना जारी रखा. वे घर में वाक करते जागिंग करते और आपस में एक दूसरे से अपनी प्रगति साझा करते थे. 

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इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती. और उत्साहित होकर तो कई लोगों ने इस दौरान एक कमरे के भीतर ही 100 किलोमीटर की दौड़ लगा ली और इस दौड़ के वीडियो भी आपस में साझा किये.

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