नई दिल्ली. यूक्रेन से सात महीनों की जंग के बाद अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने परमाणु हमले की धमकी दे दी है. पुतिन ने पश्चिमी देशों को यह भी साफ कर दिया है कि यह कोई 'कोरी धमकी' नहीं है. दरअसल रूस के साथ युद्ध के बीच पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की आर्थिक और हथियारों से बहुत मदद की है. यही कारण कि यह युद्ध लंबा खिंचता जा रहा है. कुछ दिनों पहले रूस को झटके भी लगे और कुछ इलाकों पर यूक्रेन ने दोबारा कब्जा भी कर लिया.
माना जा रहा है कि रूस का ताजा बयान खिसियाहट का नतीजा भी हो सकता है. लेकिन पुतिन की नाराजगी को पश्चिमी देशों को गंभीरता से इसलिए भी लेना चाहिए क्योंकि इसके पहले चेचेन्या जैसे देश को पुतिन लगभग घुटनों पर ला चुके हैं.
1990 के दशक में अपनी किशोरावस्था में रहे लोगों को रूस और चेचेन विद्रोहियों की लड़ाइयां याद होंगी. 90 के दशक के आखिर में ही पुतिन के हाथों में रूस की सत्ता आई और फिर इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने चेचेन विद्रोह को समाप्त किया. यह लड़ाई कई स्तर पर लड़ी गई. इसमें न सिर्फ ताकत का इस्तेमाल था बल्कि साम, दाम, दंड भेद की पूरी नीति अख्तियार की गई.
चेचेन्या के साथ रूस का विवाद कुछ वर्षों नहीं बल्कि कुछ सौ वर्षों पुराना है. वक्त के साथ दोनों तरफ की लीडरशिप बदलती गई लेकिन तनाव कम नहीं हुआ. न ही कभी कोई रूसी नेता चेचेन विद्रोहियों को काबू में कर सका. लेकिन पुतिन ने इसमें लगभग कामयाबी हासिल कर ली है.
पुराने इतिहास से इतर रूस और चेचेन्या के सबसे ताजा विवाद का जिक्र करें तो इसकी शुरुआत 1990 के आसपास हुई. सोवियत संघ के विघटन के साथ ही चेचेन्या ने अपनी आजादी घोषित कर दी थी. नतीजा ये हुआ 1994 में ही पहला रूस-चेचेन्या युद्ध छिड़ गया जो दो साल तक चला. उस वक्त सोवियत टूटने के बाद रूस कमजोर हो चुका था और दो साल तक युद्ध चलने के बाद रूसी सेनाओं को वापस लौटना पड़ा. रूस को चेचेन्या के साथ समझौता करना पड़ा जो ज्यादा दिनों तक नहीं टिका.
चेचन्या को सत्ता संभालते ही पुतिन ने घुटनों पर झुकाया
1999 में जंग फिर शुरू हो गई. रूस कमजोर भले ही हो चुका था लेकिन चेचेन्या से लड़ने भर की शक्ति उसने अब भी नहीं खोई थी. यही वो वक्त था जब केजीबी के एजेंट रह चुके व्लादिमिर पुतिन सत्ता की केंद्रीय शक्ति बन चुके थे.1999 में ही पुतिन पहली बार रूस के प्रधानमंत्री बने थे. खैर, इस जंग में दोनों ही पक्षों को जानमाल का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन फरवरी 2000 में रूसी सैनिकों ने चेचेन्या की राजधानी ग्रॉन्जी पर कब्जा कर लिया. जंग के बीच में ही पुतिन रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बन चुके थे. फरवरी में रूसी सैनिकों के ग्रॉन्जी पर कब्जे के ठीक दो महीने बाद पुतिन रूस के पहली बार राष्ट्रपति बन गए.
चेचेन्या में पुतिन की सरकार!
कहा जाता है कि इस युद्ध में रूसी सैनिकों की जीत व्लादिमिर पुतिन की रणनीतियों का ही नतीजा थी. रूस ने युद्ध में तो चेचेन्या को झुका दिया था लेकिन इसके बाद शुरू हुआ उग्रवाद और हिंसा का दौर जो लगभग 2017 तक चला. लेकिन इन सबके बीच पुतिन के नेतृ्त्व में पूरी चेचेन लीडरशिप को तोड़कर रख दिया. वर्तमान स्थिति यह है कि आज चेचेन्या में एक ऐसे नेता की सरकार है जिन्हें रूस ने ही अपाइंट किया है. इनका नाम है रमज़ान कादीरोव.
एक के बाद एक चेचेन विद्रोही नेताओं की मौत हुई. कई मौतों पर रूस का हाथ होने के आरोप लगते रहे. दरअसल सत्ता संभालते ही पुतिन ने चेचेन्या के साथ बातचीत शुरू की थी. चेचेन्या के वर्तमान शासक रमज़ान कादीरोव के पिता अहमद कादीरोव पहले विद्रोही हुआ करते थे. फिर उन्होंने पाला बदल लिया. यानी वो रूस के पक्ष में शामिल हो गए.
शामिल बसायेव, दोक्का उमारोव जैसे विद्रोही नेताओं को रूसी सेनाओं ने मार गिराया. चेचेन्या के विद्रोह को शांत करने के लिए ये एक तरीके से रूस का ऑपरेशन ऑल आउट था. 2019 में बड़े चेचेन विद्रोही नेता जेलिमखान खांगोशिविली की बर्लिन में हत्या कर दी गई थी.
दरअसल चेचेन्या के पूरे विद्रोह को दबाने में रूस समर्थित चेचेन्या के शासन रमज़ान कादीरोव का बड़ा रोल है. चेचेन विद्रोह को दबाने के लिए पुतिन ने तीन स्तर पर जंग लड़ी. पहला सीधे तौर पर सैनिकों के जरिए, दूसरा रणनीतिक रूप से और तीसरा चेचेन्या में अपने समर्थन वाली सरकार के जरिए.
पुतिन के एजेंट हैं चेचेन्या के सुप्रीम लीडर
रमज़ान कादीरोव पर चेचेन्या के भीतर कई हत्याओं के आरोप लगाए जाते हैं. सत्ता संघर्ष में सुलीम यमदायेव की हत्या दुबई में कर दी गई थी. इससे पहले सुलीम के दो और भाइयों की हत्या हुई थी.कादीरोव इस वक्त चेचेन्या के सर्वशक्तिशाली नेता हैं. उन्हें रूस का समर्थन हासिल है और मॉस्को के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के आरोप उन पर अक्सर लगते रहते हैं. उन पर दमन के आरोपों को मानवता के खिलाफ 'अपराधों तक की संज्ञा' दी जाती है.
एक वक्त रूस की नाक में दम करके रखने वाले चेचेन विद्रोही इस वक्त छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर कुछ बड़ा कर पाने की शक्ति में नहीं हैं. तकरीबन दो दशक तक कई स्तरों पर चली इस लड़ाई में पुतिन चेचेन विद्रोहियों को निर्णायक मात दे चुके हैं. चेचेन्या में टॉर्चर, अपहरण, हत्याओं के आरोपों के बीच कादीरोव की सरकार मजबूती से जमी हुई है.
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