मोहिन्द्र ने बंजर ज़मीन को हरा-भरा कर किया कमाल
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मोहिन्द्र ने बंजर ज़मीन को हरा-भरा कर किया कमाल

आठ कनाल ज़मीन को कृषि योग्य बनाना

आठ कनाल ज़मीन को कृषि योग्य बनाना

निरिपजीत निपी/शाहपुर : शाहपुर से लगभग 22 किलोमीटर दूर दुर्गम क्षेत्र धारकंडी की ख़ूबसूरत घाटी, बोह में प्रकृति ने जी भर कर अपने रंग बिखेरे हैं। यहं आने वाले तमाम लोग इसकी सुंदरता को देखते नहीं थकते। नैसर्गिक सुंदरता होने के बावजूद हरी-भरी इस घाटी की अधिकांश ज़मीन पथरीली होने के कारण बंजर है। इसीलिए लोग अपनी रोज़ी-रोटी के लिए ख़ाली समय में अक्सर गॉंव से बाहर निकल जाते हैं। इसी घाटी की पंचायत हारबोह के गांव मोरछ में रहने वाले मोहिंद्र जरयाल ने पिछले कुछ समय में अपनी हिम्मत और मेहनत से कामयाबी की नई इबारत लिखी है।  

पिछले कई वर्षों तक मोहिंद्र भेड़-बकरियां चराने के अपने पुश्तैनी काम में डटे हुए थे। इस दौरान जब उनके पास दो-तीन महीने की फ़ुरसत होती तो वह कुछ रुपये कमाने की इच्छा लिए मनाली चले जाते और वहां सब्ज़ी मंडी में काम पर लग जाते। वह वहां खेतों में सब्ज़ी-फल के तुड़ान का काम भी करते थे। बाग़वानी और सब्ज़ी उत्पादन में दिलचस्पी होने के कारण उन्होंने बाग़वानी और फल उत्पादन की बारीक़ियॉं सीखना शुरू कर दिया। मनाली और बोह की भौगोलिक परिस्थितियों और ज़मीन के गुणों के विश्लेषण के दौरान उन्हें लगा कि उनके पास अपने गांव मोरछ में ऐसी काफ़ी जमीन है, जिसे सब्ज़ी और फल उत्पादन के योग्य बनाया जा सकता है।  

घर आकर उन्होंने बेक़ार पड़ी अपनी आठ कनाल ज़मीन को कृषि योग्य बनाना शुरू कर दिया। संयम, मेहनत और लग्न से कार्य करते हुए उन्होंने उबड़-खाबड़ भूमि को समतल करने के प्रयास में छोटे-बड़े पत्थरों को हटाकर करीब चार कनाल भूमि को बुआई योग्य बनाया। वर्तमान में मोहिंद्र ने अपनी नई ज़मीन में टमाटर, खीरा, फ्रांसबीन, करेला, घीया आदि  सब्ज़ियां लगाई हैं। अब उन्हें अपनी सब्ज़ियों के अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके नए प्रयासों से उनकी आर्थिकी सुदृढ़ होगी, जिससे वह ना केवल अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकेंगे बल्कि उन्हें अब अपने गॉंव से बाहर जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी।

 

 

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