जानिए क्या हैं कृषि से जुड़े तीन बिल, जो अब बन गए हैं कानून
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जानिए क्या हैं कृषि से जुड़े तीन बिल, जो अब बन गए हैं कानून

तो आइए हम आपको बताते हैं कि इन तीनों बिलों में ऐसा क्या है और क्यों किसान इसका विरोध कर रहे हैं.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पार्लियामेंट में किसानों को लेकर तीन बिल पास कराए हैं. जिनपर राष्ट्रपति ने रविवार को हसताक्षर कर दिए हैं और अब यह तीनों बिल कानून बन चुके हैं. इन बिलों के विरोध में तमाम अपोज़ीशन पार्टियां और किसान विरोध कर रहे हैं. साथ ही पंजाब में किसानों रेल रोको आंदोलन किया हुआ है. तो आइए हम आपको बताते हैं कि इन तीनों बिलों में ऐसा क्या है और क्यों किसान इसका विरोध कर रहे हैं.

पहला बिला
केंद्र सरकार ने इस बिल में किसानों को अपनी फसल मुल्क में कहीं बेचने के लिए अज़ाद किया है. साथ ही एक राज्य के दूसरे राज्य के बीच कारोबार बढ़ाने की बात भी कही गई है. इसके अलावा मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टिशन पर भी खर्च कम करने की बात कही गई है.

दूसरा बिल
इस बिल में सरकार ने कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविज़न किया गया है. यह बिल कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज़, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है. कांट्रेक्टेड किसानों को क्वॉलिटी वाले बीज की सप्लाई यकीनी करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलत और फसल बीमा की सहूलत मुहैया कराई गई है.

तीसरा बिल
इस बिल में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्‍याज को जरूरी चीजो की फहरिस्त से हटाने का प्रोविजन है. माना जा रहा है कि बिल के प्रोविज़न से किसानों को सही कीमत मिल सकेगी क्योंकि बाजार में मुकाबला बढ़ेगा.

अकाली दल ने तोड़ा गठबंधन
इन बिलों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में हो रहा है. हालांकि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कई और सूबों में प्रोटेस्ट होने लगे हैं. यहां तक कि भाजपा हिमायती पार्टी शिरोमणी पार्टी अकाली दल (शिअद) ने खुद इसका विरोध करते हुए NDA से पल्ला झाड़ लिया है. इससे पहले अकाली दल की जानिब से मोदी हुकूमत मोदी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हरसिमरत कौर ने भी इस्तीफा दे दिया था.

क्यों प्रोटेस्ट कर रहे हैं किसान
इन बिलों को लेकर किसान और अपोज़ीशन पार्टियों का कहना है कि वह मंडी व्यवस्था खत्म कर किसानों को एमएसपी (Minimum Support Price) से खत्म करना चाहती है. यानी किसानों को डर है कि उन्हें उनकी फसलों पर मिलने वाला एमएसपी खत्म किया जा रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि किसानों का एमएसपी पूरी तरह से महफूज़ है.

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