किसान आंदोलन वापसी की राह में तीन रोड़े, SKM ने मांगा केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण
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किसान आंदोलन वापसी की राह में तीन रोड़े, SKM ने मांगा केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण

सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में किसानों ने MSP कमेटी, केस वापसी व मुआवजे की शर्तों पर आपत्ति जताई है. किसान कल फिर से बैठक करेंगे. 

सिंघु बॉर्डर पर SKM की बैठक में गुरनाम सिंह चढूनी व अन्य किसान नेता

राजेश खत्री/सोनीपत : किसान आंदोलन को खत्म करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और केंद्र सरकार (Central Government) के बीच बात बनती दिख रही है. सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शुरू होने से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 6 सूत्रीय प्रस्ताव लेकर कुछ नुमाइंदों ने मोर्चा कमेटी के सभी 5 सदस्यों के साथ गुप्त बैठक की.

इसके बाद कमेटी के सदस्यों ने सभी प्रस्ताव मोर्चा की बैठक में रखे. हालांकि इन प्रस्तावों में से 3 बिंदुओं पर किसान नेताओं ने सवाल खड़े करते हुए सरकार से बुधवार तक स्पष्टीकरण मांगा है. संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि बुधवार को सरकार के जवाब का इंतजार किया जाएगा और दोपहर 2 बजे फिर से मोर्चा की बैठक कर आगामी निर्णय लिया जाएगा. 

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संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी में शामिल 5 सदस्यों ने सरकार पर उन्हें नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए कड़े तेवर दिखाए थे. मंगलवार को होने वाली मोर्चा की बैठक में दिल्ली कूच जैसे कार्यक्रमों का फैसला लेने के संकेत दिए थे, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 6 सूत्रीय प्रस्ताव के साथ एक प्रतिनिधि दल को कमेटी से बातचीत के लिए भेजा गया.

किसान मोर्चा सिंघु बॉर्डर पर बैठक शुरू कर चुका था कि अचानक कमेटी के सदस्यों के पास बातचीत का प्रस्ताव आया. कमेटी के सदस्यों ने सरकारी नुमाइंदाें के साथ गुपचुप बैठक की और करीब एक घंटे की बैठक के बाद वे वापस मोर्चा की बैठक में पहुंचे. यहां मोर्चा के नेताओं के सामने सभी प्रस्ताव रखे गए, जिस पर किसान नेताओं ने एमएसपी,  केस वापसी व मुआवजे पर सरकार की शर्तों का विरोध किया और अन्य सभी मुद्दों पर किसानों ने सहमति जताई. 

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सभी मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश 

कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का, गुरनाम चढूनी, युद्धवीर सिंह व अशोक धवले ने पत्रकारों से बातचीत कर साफ कहा कि जिन 3 मुद्दों पर पेंच फंसा है, उन पर सहमति के बाद ही किसान आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार करेंगे. सरकार ने अच्छी पहल की है. अब लगता है कि जल्द ही सभी मुद्दों पर बाकी सहमति बनाने का प्रयास करेगी

इन 3 बिंदुओं पर हल होना बाकी 

1. केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक MSP गारंटी कानून को लेकर प्रस्तावित कमेटी में केंद्र सरकार द्वारा सदस्य राज्यों, कृषि विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों के साथ SKM व अन्य किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक समिति गठित की जाएगी. किसानों की मांग है कि इस कमेटी में केवल संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों को ही शामिल किया जाए, अन्य किसान संगठनों को नहीं. 

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2. केंद्र सरकार ने कहा है कि यू.पी. और हरियाणा में किसानों के खिलाफ सभी मामले वापस लिए जाएंगे, लेकिन पहले किसान आंदोलन समाप्त करें. इस पर किसानों का कहना है कि आंदोलन खत्म करने की शर्त न रखी जाए. पहले केस वापस लिए जाएं और इसके लिए समयसीमा तय की जाए. किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले आंदोलन खत्म करने की बात कही, लेकिन सरकार केस वापसी के लिए एक समय सीमा बताए, ताकि किसानों को सरकार की नीयत पर शक न रहे.

3. सरकार सैद्धांतिक तौर पर मुआवजा देने को तैयार है, लेकिन किसानों का कहना है कि पंजाब की तर्ज पर मुआवजा व नौकरी दी जाए.

लखीमपुर खीरी मामले में साधी चुप्पी

प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में किसान माेर्चा ने लखीमपुर खीरी मामले में आराेपियों की गिरफ्तारी व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग की है. मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान किसान कमेटी के सदस्यों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली. उनका कहना है कि शहीद किसानों को मुआवजा देने की मांग की गई, जिसमें लखीमपुर खीरी के शहीद किसान भी शामिल हैं और लाल किले पर प्रदर्शन के दौरान मारा गया नवदीप भी शामिल है.

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