बिलासपुर के बागवान हरिमन शर्मा ने मेहनत से बनाई देश-प्रदेश में अलग पहचान, लाखों में है कमाई!
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बिलासपुर के बागवान हरिमन शर्मा ने मेहनत से बनाई देश-प्रदेश में अलग पहचान, लाखों में है कमाई!

Bilaspur News: बिलासपुर के प्रगतिशील बागवान हरिमन शर्मा के सेब के तीन हज़ार पौधे जाएंगे अब ओमान तो हरिमन के सेब की है देश-प्रदेश में अलग पहचान. पढ़ें कैसे हरिमनसेब की फसल से आज लाखों कमा रहे. 

बिलासपुर के बागवान हरिमन शर्मा ने मेहनत से बनाई देश-प्रदेश में अलग पहचान, लाखों में है कमाई!

Bilaspur News: हिमाचल प्रदेश के ऊंचे बर्फीले पहाड़ी इलाकों में सेब की पैदावार देखने को मिलती है. शिमला व कुल्लू- मनाली के सेब की देश-विदेश में अपनी अलग पहचान है और अक्सर बाजारों में आपको इन क्षेत्रों का ही सेब देखने को मिलता है. ऐसे में आपके जहन में होगा कि सेब का पौधा केवल बर्फीले इलाके में ही अच्छी पैदावार दे सकता है, लेकिन इस सोच को गलत साबित कर दिखाया है बिलासपुर जिला के गांव पनियाला के रहने वाले प्रगतिशील बागवान हरिमन शर्मा ने. 

जी हां हरिमन शर्मा सन् 1999 में बागवानी के क्षेत्र से जुड़े और जब आम के पेड़ों पर अत्याधिक कोहरा पड़ने के कारण फसल बर्बाद हो गई तो उन्होंने सेब के पौधे लगाने का एक विकल्प तलाशा. हरिमन शर्मा ने सबसे पहले एक बीज से सेब का पौधा तैयार किया और उसे पलम पर मल्टीप्लाई किया. वहीं अपने इस आविष्कार को साकार होता देख हरिमन शर्मा ने सेब की ग्राफ्टिंग की. जिसके बाद सेब का फल लगना शुरू हो गया.

वहीं, आठ सालों की कड़ी मेहनत के बाद हरिमन को सन् 2007 में पूर्ण सफलता हासिल हुई और साल 2013 में भारत सरकार के नेशनल इनोगेशन फाउंडेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के संपर्क में आए और उनके सौजन्य से 29 राज्यों में इस सेब की किस्म के ट्रायल करवाए गए. जिसमें 27 राज्यों में यह पौधा सफल रहा और आज भी अच्छे फल दे रहा है. 

गौरतलब है कि हरिमन शर्मा द्वारा तैयार यह सेब का पौधा 40 से 45 डिग्री सेल्सियस वाले गर्म इलाकों में सरवाइव कर सकता है और ऊंचे बर्फीले पहाड़ी इलाकों की तर्ज पर ही सेब का फसल दे सकता है. वहीं हरिमन शर्मा ने अपनी इस खोज को HRMN 99 के नाम से वर्ष 2021 में भारत सरकार की तरफ़ से दर्जा प्राप्त कर पेटेंट भी करवाया है और देशभर में इन सेब के पौधों की काफी डिमांड है.

हरिमन शर्मा की इस उपलब्धि को देखते हुए उन्हें 18 राष्ट्रीय अवार्ड, 15 राज्यस्तरीय अवार्ड व 7 अन्य अवार्ड भी मिल चुके हैं. वहीं इन अवॉर्डों में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा देशभर में द्वितीय किसान सम्मान अवार्ड और तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा कृषक सम्राट अवार्ड शामिल है.

इस बात की जानकारी देते हुए प्रगतिशील बागवान हरिमन शर्मा ने कहा कि उनके द्वारा तैयार किया गया HRMN 99 सेब का 3 हजार पौधा जल्द ही ओमान जाएगा, जिसकी परमिट बनाकर उन्हें भेजा गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऊंचे पहाड़ी इलाकों में सेब का फल अगस्त, सितंबर माह में पक कर तैयार होता है जबकि HRMN 99 सेब का फल जून जुलाई में ही तैयार हो जाता है और जिस समय बाजार में सेब उपलब्ध नहीं होता उस समय यह फल 100 से 150 रुपये किलो बिकता है. 

साथ ही हरिमन शर्मा ने कहा कि उन्होंने जो नर्सरी तैयार की है. उसमें 300 सेब के पौधे, 350 आम के पौधे, 10 चीकू के पौधे लगे हैं. इसके अलावा एक पौधा आबोकाड़ो का भी ट्रायल बेस पर उन्होंने लगाया है, जिसका रिजल्ट भी काफ़ी अच्छा है और यह पौधा उन्हें मॉरिसिस से डॉक्टर चरणजीत परमार ने दिया था और इस इसमें 400 से 500 फल लगे थे, जिसे देखते हुए जल्द ही वह आबोकाड़ो की नर्सरी भी तैयार करेंगे. 

हरिमन शर्मा ने कहा कि देश 29 राज्यों में वह HRMN 99 सेब के पौधे भेजतें है और इससे उनकी सलाना 30 से 40 लाख रुपये की आय होती है. जिससे वह एक खुशहाल बागवान के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और बागवानी से उनकी आर्थिकी काफी मजबूत हुई है. 

उन्होंने आज की युवा पीढ़ी से भी सरकारी व प्राइवेट नौकरी के पीछे भागने के बजाए कृषि व बागवानी के क्षेत्र को अपना कर स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की नसीहत दी है. ताकि इस क्षेत्र में भी युवा आगे बढ़कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकें.

रिपोर्ट- विजय भारद्वाज, बिलासपुर

 

 

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