कुल्लू में ढाई माह में 62 आगजनी की घटनाएं आईं सामने, 139 हेक्टेयर में पेड़ जलकर राख!
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कुल्लू में ढाई माह में 62 आगजनी की घटनाएं आईं सामने, 139 हेक्टेयर में पेड़ जलकर राख!

Kullu Fire News in Hindi: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू डिविजन में 30 लाख रूपये की वन संपदा का नुकसान हुआ है. जिसे लेकर वन विभाग ने जंगलों की देख रेख के लिए फायर वॉचर कर्मचारी तैनात किए हैं.

कुल्लू में ढाई माह में 62 आगजनी की घटनाएं आईं सामने, 139 हेक्टेयर में पेड़ जलकर राख!

Kullu Fire News: कुल्लू जिला में जंगलों में आगजनी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ऐसे में जगह-जगह पर जंगलों में आगजनी से लाखों रूपये की  वन संपदा जलकर राख हो गई है,  जिसके चलते जीव-जंतुओं और पशु पक्षियों के साथ-साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. 

ऐसे में आगजनी की घटना से निपटने के लिए प्रदेश सरकार वन विभाग और प्रशासन की तरफ से कोई खास प्रबंध नहीं है.  जिससे कि जंगलों की आग को काबू पाया जा सके. यही नहीं हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में पिछले ढाई माह से बारिश न होने के कारण ड्राई स्पेल चल रहा है, जिसके चलते आगजनी की घटनाएं बढ़ रही है. 

कुल्लू वन मंडल में ढाई माह में 62 आगजनी की घटनाओं में 139 हेक्टेयर में पेड़ जलकर राख हुआ है. जिससे पर्यावरण को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है. वन विभाग वन मंडल कुल्लू डीएफओ एंजेल चौहान ने कहा कि वन मंडल कुल्लू में नवंबर, दिसंबर और जनवरी ढाई माह में विभिन्न जंगलों में  62 आगजनी की घटनाएं हुई है, जिसमें 139  हेक्टेयर में देवदार कायल और चीड़ के साथ-साथ अन्य पौधे जलकर राख हुए हैं. 

उन्होंने कहा कि कुल्लू जिले में लंबे समय से ड्राई स्पेल के कारण जंगलों में आगजनी की घटनाएं बढ़ रही है और वन विभाग के कुल्लू डिविजन में आगजनी से 30 लाख रूपये की वन संपदा का नुकसान हुआ है. साल दर साल जिन जंगलों में आगजनी की घटनाएं होती हैं.  उनको सेंसेटिविटी के तौर पर आईडेंटिफाई करते है. समर या विंटर में फायर सीजन में फायर वॉचर और वीट कर्मचारी तैनात किया जाता है, लेकिन इस साल की घटनाओं का मैग्निड्यूड बहुत ज्यादा है, जिससे आग को कंट्रोल करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है. 

उन्होंने आगे कहा कि नवंबर माह में कुल्लू और दिसंबर में पतली कहुल और नग्गर के ऐरिए में जंगलों में आग लगी और जनवरी में मनाली के जंगलो में आग से जंगल में वन संपदा को नुकसान हुआ है. आने वाले समय में कई अन्य जंगलों में सेंसेटिव घाोषित करने पड़ेंगे और वन विभाग को प्रिकॉशन लेने पड़ेंगे.

गौर रहे कि पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा जंगलों में आगजनी की घटनाएं हुई हैं.  जिससे इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है और पिछले 3 दशकों से कुल्लू जिला में पहाड़ों पर बर्फबारी की मात्रा में भारी कमी आई है. ऐसे में विश्व प्रसिद्व रोहतांग दर्रे पर 100 फीट से अधिक बर्फबारी होती थी. अब 5 से 7 फीट बर्फबारी होती है. हिमाचल प्रदेश में भी पिछले 3 दशकों से तेजी के साथ पर्यावरण में बदलाव का असर देखने को मिल रहा है.  ऐसे में कई ग्लेशियरों का अस्तित्व खत्म हो गया है.  

स्टोरी- संदीप सिंह, कुल्लू

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