Shimla Latest News in Hindi: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने नगर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर चुनावों में विधायकों को मिले वोटिंग राइट पर कांग्रेस सरकार को घेरा है.
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Shimla News: बीती देर रात हिमाचल सरकार ने नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर चयन के लिए विधायकों को वोटिंग राइट दे दिया है. जिसके बाद शुक्रवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने नगर निगम के मेयर, डेप्टी मेयर चुनावों में विधायकों को मिले वोटिंग राइट पर सरकार को घेरा. वहीं, सरकार के फैसले को बताया अजीबो गरीब फैसला बताया.
बता दें, इस फैसले से अब मेयर और डिप्टी मेयर के चयन के वक्त पार्षदों के साथ-साथ लोकल MLA भी वोट दें सकेंगे. लॉ डिपार्टमेंट से कानूनी प्रमर्श के बाद इसको लेकर शहरी विकास सचिव की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके तहत मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव में विधायक अब वोट कर सकेंगे. इस फैसले से अब स्थानीय विधायक जो अभी तक पार्षद होते थे उनके और निर्वाचित पार्षद के अंतर को अब खत्म कर दिया गया है.
राज्य के धर्मशाला, पालमपुर, मंडी व सोलन नगर निगम में मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार के विधायकों को वोटिंग राइट देने के फैसले को काफी अहम माना जा रहा है. इससे पहले राज्य सरकार ने चारों नगर निगम में मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव का शेड्यूल जारी किया है. चुनावी कार्यक्रम जारी करने के बाद हिमाचल प्रदेश म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट 1994 की धारा 4 में संशोधन पर भारतीय जनता पार्टी भड़क गई है. BJP ने इसे लोकतंत्र की हत्या का प्रयास करार दिया है.
इसे लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता आज शिमला में बैठक कर कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला लेंगे. भाजपा ने विधायकों को नगर निगम में वोटिंग राइट देने को कांग्रेस सरकार की हड़पने की राजनीति करार दिया है. सरकार की ओर से एक्ट में किए गए संशोधन से सियासी पारा बढ़ गया है. पहले विधयकों को वोटिंग राइट नहीं दिए गए थे, लेकिन अब सरकार ने चुनाव से ठीक पहले कानूनी राय का हवाला देते हुए विधायकों को निगम चुनाव में वोटिंग राइट प्रदान कर दिया है. प्रदेश सरकार द्वारा डीसी मंडी को 21 अक्टूबर को भेजी गई क्लैरिफिकेशन में नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में बोर्ड का अधिकार नहीं था, लेकिन शहरी विकास विभाग के विशेष सचिव द्वारा शहरी विकास निदेशक को भेजे गए पत्र में विधायक को वोट का अधिकार दिया गया है.
प्रदेश सरकार ने नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यकाल को 12 अक्टूबर को समाप्त कर दिया था. 13 अक्तूबर को डीसी मंडी और डीसी सोलन में विधायक को वोट को लेकर सरकार से क्लैरिफिकेशन मांगी थी. विधायक को वोट का अधिकार मिलने से सबसे ज्यादा फायदा मंडी में भारतीय जनता पार्टी को हुआ है क्योंकि वहां पर 3 विधायक मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट कर सकते हैं. मंडी नगर निगम में 3 मंडी सदर, बल्ह व द्रंग विधानसभा क्षेत्र हैं. कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल सोलन नगर निगम है. उधर, इससे सोलन नगर निगम में कांग्रेस को फायदा हुआ है.
सोलन और पालमपुर निगम निगम पर कांग्रेस का पूर्ण बहुमत के साथ कब्जा है, वहीं मंडी और धर्मशाला नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है. विधायक को वोटिंग राइट मिलने के बाद धर्मशाला में कांग्रेस उलटफेर कर सकती है. धर्मशाला के 17 वार्डों में भाजपा के पास आठ पार्षद, कांग्रेस के पास पांच और चार पर निर्दलीय पार्षद जीते हुए हैं.
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एवं सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि जब नगर निगम के महापौर और उप महापौर के चुनावों की घोषणा हो चुकी है, तो चुनाव प्रक्रिया के बीच में ऐसी अधिसूचना कैसे जारी हो सकती है. आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना को जारी करने के पीछे कांग्रेस सरकार का डर भी साफ प्रतीत होता है और मंशा भी.