Captain Vikram Batra: आज ही के दिन जन्मे थे पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा
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Captain Vikram Batra: आज ही के दिन जन्मे थे पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा

Captain Vikram Batra: देश की सेवा में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा की आज बर्थ एनिवर्सरी है. वो कैप्टन बत्रा जिनके नाम से ही पाकिस्तानी थर-थर कांपते थे. जिन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर 5140 पॉइंट को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराया था.  

Captain Vikram Batra: आज ही के दिन जन्मे थे पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा

Vikram Batra Birth Anniversary: देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारत के महानायक अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की आज बर्थ एनिवर्सरी है. कैप्टन विक्रम बत्रा आज से करीब 23 साल पहले देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए थे. इस दौरान उनकी उम्र महज 24 साल थी. 

9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश में हुआ जन्म 
बता दें, भारत माता के वीर सपूत शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश में हुआ. उनकी पढ़ाई पालमपुर में हुई. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चले गए. विक्रम बत्रा जिस जगह रहते थे वह सेना छावनी का इलाका था. ऐसे में विक्रम बत्रा भी बचपन से सेना में ही जाना चाहते थे. 

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पहले मर्चेंट नेवी में हुआ था विक्रम बत्रा का सिलेक्शन
यहां से पढ़ाई पूरी होने के बाद विक्रम बत्रा का सिलेक्शन मर्चेंट नेवी में हुआ, लेकिन उन्होंने इंग्लिश में एमए के लिए एडमिशन ले लिया. इसके बाद वह सेना में शामिल हो गए. 1999 में जब वह अपनी कमांडो ट्रेनिंग पूरी करके होली का त्योहार मनाने अपने घर हिमाचल प्रदेश गए थे, तभी पाकिस्तान की सेना ने कारगिल में घुसपैठ कर यहां की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए करगिल युद्ध हुआ था. 

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सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में थे तैनात 
इस दौरान विक्रम बत्रा सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में तैनात थे. उनके नेतृत्व में टुकड़ी ने हम्प व राकी नाब स्थानों को जीता था, जिसके बाद उन्हें कैप्टन बना दिया गया. उनकी वीरता को देखते हुए कारगिल युद्ध के लिए विक्रम बत्रा को बुलाया गया और उन्होंने श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर 5140 पॉइंट को पाकिस्तानी सेना से मुक्त करा दिया था. युद्ध के दौरान दुश्मनों की ओर से ग्रेनेड फेंके गए, जिसमें विक्रम शहीद हो गए. 

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