Dharamshala News: महिला कर्मचारियों के शिशुओं को अब देखभाल की बेहतर सुविधा मिलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि धर्मशाला के स्कूल शिक्षा बोर्ड के परिसर में चायल्ड केयर सेंटर खुला है. डीसी ने शुभारंभ किया.
Trending Photos
Dharamshala News: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष एवं उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि कांगड़ा जिला में कामकाजी महिलाओं एवं श्रमिकों के शिशुओं की उचित देखभाल के लिए पालना केंद्र बनाने के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं ताकि कामकाजी महिलाओं एवं श्रमिक महिलाओं को किसी भी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े. साथ ही बच्चों की भी सही देखभाल सुनिश्चित हो सके.
शुक्रवार को उपायुक्त हेमराज बैरवा ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के परिसर में शिशु देखभाल केंद्र का शुभारंभ किया. इसके बाद उन्होंने कहा कि शिशु देखभाल केंद्र खुलने से स्कूल शिक्षा बोर्ड की महिला कर्मचारियों को अपने शिशुओं की बेहतर देखरेख की सुविधा मिलेगी.
वर्तमान दौर में समाज डिजिटल प्लेटफार्म की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा डिजिटल फुटप्रिंट बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की सभी सेवाएं डिजिटल हो चुकी हैं तथा हर कोई बोर्ड से डिजिटल माध्यम से सेवाएं लेना चाहता है. ऐसे में जरूरी है कि शिक्षा बोर्ड का आईटी सिस्टम अप टू डेट हो. साथ ही लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से सुसज्जित हो. इसी को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा बोर्ड के आईटी सेंटर को अपग्रेड किया है.
इसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी क्लाउड वाली उसमें एआई रिलेटेड जो कान्सेप्ट हैं, उनको शामिल करने का भी प्रयास किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड नए जमाने की टेक्नोलॉजी से अछूता न रहे और बोर्ड की सेवाएं लोगों को समयबद्ध तरीके से मिलती रहें. इस दिशा में बोर्ड आगे बढ़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में शुक्रवार को क्रच का उदघाटन बोर्ड अध्यक्ष एवं डीसी कांगड़ा हेमराज बैरवा ने किया. उन्होंने कहा कि यह क्रच बोर्ड के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा. वर्किंग वुमेन की संख्या बढ़ रही है. साथ शिक्षा बोर्ड में भी उनकी संख्या काफी है. ऐसे में जरूरत महसूस की गई कि स्कूल शिक्षा बोर्ड में क्रच बनाया जाए, जिसके लिए एक रूम क्रच नाम से शिक्षा बोर्ड परिसर में तैयार किया है. जहां केयर टेकर भी रखे हैं.
शिक्षा बोर्ड की वर्किंग वुमेन अपने बच्चों को इस क्रच में ला सकती हैं. सुबह से शाम तक बच्चा, जब तक मां काम पर है. बच्चा क्रच में ही रहेगा. माताओं को बच्चे का खाना-पीना साथ लाना होगा. एक तरह से बच्चे का डे केयर सेंटर शिक्षा बोर्ड परिसर के क्रच में चलेगा, जहां वर्किंग वुमेन अपने बच्चों की बीच-बीच में जाकर देखभाल भी कर सकेंगी. यह आज समय की जरूरत है.
महिला एवं बाल विकास विभाग के कई आंगनबाड़ी केंद्र हमें क्रच के रूप में अपग्रेड करने हैं. इसके लिए एक स्कीम भी है, जिसका लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र का कैचमेंट एरिया तय करेंगे, वहां पर इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी. वर्किंग वुमेन के साथ मेहनत-मजदूरी करने वाली महिलाओं के छोटे बच्चों को भी इस तरह की सुविधा की जरूरत होती है. हमारा प्रयास रहेगा कि उन बच्चों के लिए भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके.
क्रच में नियुक्त केयर टेकर की भी समय-समय पर ट्रेनिंग करवाई जाएगी कि किस तरह से छोटे बच्चों का ध्यान रखना चाहिए. भारत सरकार के स्तर पर भी अर्ली चाइल्डहुड केयर के कॉन्सेप्ट पर काफी चिंतन और कार्य हो रहा है. उस चिंतन को हमारा प्रयास यहां सार्थक करने का रहेगा और भविष्य को और बेहतर बनाएं.
रिपोर्ट- विपिन कुमार, धर्मशाला