Himachal Pradesh में बागवानी मंत्री के तुगलकी फरमान के कारण बागवान, आढ़ती और लदानी परेशान!
Advertisement
Article Detail0/zeephh/zeephh2354518

Himachal Pradesh में बागवानी मंत्री के तुगलकी फरमान के कारण बागवान, आढ़ती और लदानी परेशान!

Shimla News: हिमाचल प्रदेश में यूनिवर्सल कार्टन को बिना तैयारी के आनन फानन में लागू करने के कारण प्रदेश को पांच हजार करोड़ की आर्थिकी देने वाली सेब बागवानी खतरे में है. 

 

Himachal Pradesh में बागवानी मंत्री के तुगलकी फरमान के कारण बागवान, आढ़ती और लदानी परेशान!

समीक्षा कुमारी/शिमला: भाजपा विधायक प्रवक्ता बलबीर वर्मा व प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा है कि शिमला, यूनिवर्सल कार्टन को बिना तैयारी के आनन-फानन में लागू करने के कारण प्रदेश को पांच हजार करोड़ की आर्थिकी देने वाली सेब बागवानी खतरे में आ गई है. दोनों नेताओं ने कहा कि प्रदेश में टेलिस्कोपिक पर लगे पूर्ण प्रतिबंध व दर के हिसाब से सेब को बेचे जाने के निर्णय के बाद बागवानों ने अपना उत्पाद बेचने के लिए बाहरी राज्यों की मंडियों का रुख कर लिया है.

उन्होंने कहा कि हर साल बागवान जुलाई महीने में अधिकतर सेब और नाशपाति हिमाचल की मंडियों में ही बेचते थे, लेकिन इस वर्ष बागवान अभी से ही बाहरी राज्यों की मंडियों में अपना उत्पाद बेचने को मजबूर हो गए हैं, जिसका सीधा असर प्रदेश के अंदर चल रही लोकल मंडियों व इस कारोबार से जुड़े अन्य लघु उद्योगों और रोजगार के अवसरों पर पड़ेगा. बागवानी मंत्री के तुगलकी फरमान के कारण बागवान, आढ़ती और लदानी परेशान हैं. इस कारण इस वर्ष लदानी भी प्रदेश की मंडियों में कम आ रहे हैं. आढ़ती भी दूसरे राज्यों की मंडियों की ओर शिफ्ट होने का मन बना रहे हैं. इन सभी कारणों से प्रदेश सरकार को बहुत बढ़ा राजस्व घाटा होगा.

ये भी पढ़ें- Himachal School: हिमाचल सरकार ने लिया बड़ा फैसला, प्रदेश के 99 स्कूल होंगे बंद!

बलबीर वर्मा ने कहा कि जिस गैर जिम्मेदाराना तरीके से कांग्रेस सरकार ने बिना किसी तैयारी के टेलिस्कोपिक कार्टन पर प्रतिबंध लगाकर यूनिवर्सल कार्टन को लागू किया उससे बागवान असहज महसूस कर रहा है. पूर्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की अगुवाई में प्रदेश में मंडियों का जाल बिछाया था, लेकिन कांग्रेस की बागवानी के प्रति उदासीन मानसिकता के कारण इन फल मंडियो का अस्तित्व ही आज खतरे में आ गया है.

वहीं, चेतन बरागटा ने कहा कि सेब गड में बिकना चाहिए, लेकिन अभी दर में बिक रहा है. जिसमें 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की कटौती की जा रही है जो निर्णय असहनीय है. अगर बागवानी विरोधी निर्णय वापिस नहीं लिए गए तो भाजपा उग्र आंदोलन करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो कोर्ट का दरवाजा खट-खटाने से भी पीछे नहीं हटेगी.

ये भी पढ़ें- कारगिल युद्ध के 25 वर्ष पूरे होने पर भूतपूर्व सैनिकों ने मनाया कारगिल विजय दिवस

चेतन बरागटा ने कहा कि 20 साल पहले हिमाचल सेब उत्पादन में अग्रणी राज्य था, लेकिन आज इसका उल्टा हो गया है. अब हिमाचल सबसे पीछे है. आज हिमाचल सिर्फ 17 प्रतिशत सेब पैदा करता है जबकि जम्मू-कश्मीर 78 प्रतिशत सेब पैदा कर रहा है. क्या प्रदेश सरकार ने इस ओर चिंतन किया कि हम पीछे क्यों गए. क्या जम्मू-कश्मीर, उतर- पूर्वी प्रदेशों और उत्तराखंड ने कार्टन स्टेंडेडाईडेशन किया है. हमें ये भी जानने का प्रयास करना चाहिए.

प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में यूनिवर्सल कार्टन लागू क्यों किया, ये विचारणीय प्रश्न है जो जनता के बीच छोड़कर जा रहा हूं. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र ने भी जब बागवान लकड़ की पेटी से गत्ते में शिफ्ट हुआ था तो उन्होंने भी 3 साल का ट्रायल पीरियड दिया था.

WATCH LIVE TV

Trending news