Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने प्रदेश के बिगड़ते आर्थिक हालातों को लेकर प्रदेश की मौजूदा सुक्खू सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकटों के बीच सरकार हास्तपद फैसले ले रही है.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में बिगड़ते आर्थिक हालातों के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में लगे हुए हैं. कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार राज्य की बिगड़ती आर्थिक हालत के लिए पूर्व की जयराम सरकार पर ठीकरा फोड़ रही है, लेकिन जयराम ठाकुर वर्तमान कांग्रेस की गलत नीतियों और फिजूलखर्ची को जिम्मेदार बता रहे हैं.
जयराम ठाकुर ने आर्थिक संकट के बीच हिमाचल बिल्डिंग एंड अंडर कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन की तनख्वाह में एक लाख रुपए की बढ़ोतरी पर निशाना साधा है. नेता प्रतिपक्ष ने बिगड़ती आर्थिक स्थिति में चेयरमैन की सैलेरी बढ़ाने और मंत्री सीपीएस की दो महीने की सैलरी विलंबित लेने जैसे फेसलों को हास्यास्पद बताकर सवाल खड़े किए हैं.
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नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि बीजेपी के पांच साल के मुकाबले कांग्रेस ने दो साल के कार्यकाल में ही ज्यादा कर्ज ले लिया है. कर्ज का आंकड़ा दिसंबर तक बढ़कर एक लाख करोड़ से पार हो जायेगा. उन्होंने बताया कि बीजेपी ने पांच वर्षों में 19 हजार 600 करोड़ का कर्ज लिया, जबकि कांग्रेस ने 20 महीने में 24 हजार 176 करोड़ का कर्ज ले लिया है.
इसके साथ ही कहा कि भविष्य में आर्थिक हालात और खराब हो सकते हैं. कर्मचारियों की हितेषी सरकार ने न डीए दिया और ना ही एरियर दिया, जिसकी वजह से कर्मचारी सड़कों पर आ गए हैं. आउटसोर्स और एचआरटीसी कर्मचारियों को समय पर सैलेरी नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में सीएम हास्यास्पद घोषणा कर रहे हैं.
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जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल बिल्डिंग एंड अडर कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन की सैलरी 30 हजार से बढ़ाकर सीधा एक लाख कर दी गई है. एक तरफ तो सरकार आर्थिक संकट की बात कर रही है जबकि दूसरी तरफ इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार नाखून कटवाकर शहीद होने के हथकंडे अपनाने की कोशिश कर रही है. आर्थिक हालात खराब हैं तो सरकार सीपीएस को क्यों नहीं हटा रही. सरकार ने सीपीएस की कुर्सी बचाने के लिए ही 6 करोड़ वकीलों की फीस देकर खर्च कर दिए हैं.
जयराम ठाकुर ने कहा कि आने वाले समय में यह सरकार कर्मचारियों को भी विलंबित वेतन मिलने की बात कहेगी और फिर एक दिन आर्थिक हालातों को देखते हुए सैलेरी देने में असमर्थता जताएगी. कांग्रेस ने जिन राज्यों में खटाखट की गारंटी दी उनकी हालत खटाखट हो गई है. हिमाचल के खटाखट की आवाज उन राज्यों तक पहुंचेगी जहां चुनाव होने वाले हैं.
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