Himachal Pradesh में 16 फरवरी को हो सकती है देशव्यापी हड़ताल, आज किया रोष व्यक्त
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Himachal Pradesh में 16 फरवरी को हो सकती है देशव्यापी हड़ताल, आज किया रोष व्यक्त

Himachal Pradesh News: नालागढ़ में आज केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. यह प्रदर्शन ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने सीटू, इंटक, एटक सहित दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशन के आह्वान पर किया गया.  

 

Himachal Pradesh में 16 फरवरी को हो सकती है देशव्यापी हड़ताल, आज किया रोष व्यक्त

नंदलाल/नालागढ़: ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने सीटू, इंटक, एटक सहित दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशन के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ बद्दी में एकत्रित होकर रोष व्यक्त किया. इस दौरान बद्दी के सैकड़ों मजदूरों ने केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाया. 

इस दौरान केंद्र सरकार से श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की और उनकी छंटनी पर रोक लगाने की मांग की. साथ ही ट्रेड यूनियनों ने बद्दी में संयुक्त मंच से केंद्र सरकार को चेताया कि वह मजदूर विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें, अन्यथा मजदूर आंदोलन को उग्र आंदोलन में दब्दील करेंगे. 

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ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के हिमाचल प्रदेश संयोजक डॉ. कश्मीर ठाकुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बावा हरदीप सिंह, एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज और सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि देश में तालाबंदी के दौरान कई राज्यों में श्रम कानूनों को 'खत्म करने' के विरोध में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व दर्जनों मजदूरों के साथ केंद्र सरकार की नीतियों पर हिमाचल प्रदेश के जिला, ब्लॉक मुख्यालयों और कार्यस्थलों पर जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे.

उन्होंने कहा है कि आज केंद्र का शासक वर्ग और सरकारें मजदूरों के खून चूसने और उनके शोषण को तेज करने में लगी हैं. हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. अन्य प्रदेशों की तरह ही कारखाना अधिनियम 1948 में तब्दीली करके हिमाचल प्रदेश में काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है. इस से एक तरफ मजदूरों की भारी छंटनी होगी, वहीं दूसरी ओर कार्यरत मजदूरों का शोषण तेज होगा. फैक्टरी की पूरी परिभाषा बदलकर लगभग दो तिहाई मजदूरों को चौदह श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है. ठेका मजदूर अधिनियम 1970 में बदलाव से हजारों ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे.

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औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में परिवर्तन से जहां एक ओर अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा, वहीं दूसरी ओर मजदूरों की छंटनी की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और उन्हें छंटनी भत्ता से भी वंचित होना पड़ेगा. तालाबंदी, छंटनी और लेबर कोर्ट की प्रक्रिया भी मालिकों के पक्ष में हो जाएगी. इन मजदूर विरोधी कदमों को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच से कहा कि अगर केंद्र अभी भी नहीं जागी तो 16 फरवरी को देश व्यापी हड़ताल करके मजदूरों की आवाज को बुलंद किया जाएगा, जिसकी जिमेदारी केंद्र सरकार की होगी.

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