Himachal Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र का आज 9वां दिन. सत्र में कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने सेब उद्योग को लेकर अपनी बात रखी.
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Himachal Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मामला उठाया. राठौर ने कहा 5 हजार करोड़ रुपए की सेब आर्थिक को बचाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी को 100 प्रतिशत करने की मांग की.
जवाब में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि राज्य सरकार कई बार केंद्र को पत्र लिखकर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर चुकी है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपना वादा पूरा करने के बजाय हिमाचल की सेपू बड़ी की तारीफ करते हैं.
जगत नेगी ने कहा कि सेब हिमाचल की आर्थिक की रीढ़ है. दुनिया के 32 देशों से 5 लाख टन सेब इंपोर्ट होता है. इससे हिमाचल के साथ-साथ जम्मू कश्मीर का सेब उद्योग भी संकट में आ गया है. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने इंपोर्ट ड्यूटी तो नहीं बढ़ाई. इस बीच सेब कंसंट्रेट को सॉफ्ट ड्रिंक में डालने का भरोसा दिया. यह वादा भी पूरा नहीं किया गया. 10 साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी केंद्र सरकार ने अपना वादा नहीं पूरा किया.
उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी ने आयात शुक्ल बढ़ाने के बजाय अमेरिका के सेब पर इसे कम किया है. इससे हिमाचल के सेब पर संकट आ गया है. इससे पहले कुलदीप राठौर ने कहा, सेब उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. उत्पादन लागत बढ़ती जा रही है और रेट गिर रहे हैं.
उन्होंने कहा, आयात शुक्ल बढ़ाया तो नहीं गया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को इंपोर्ट ड्यूटी 20% करने का भरोसा दिया है. ऐसा हुआ तो प्रदेश का सेब उद्योग उजड़ जाएगा. उन्होंने कहा अफगानिस्तान के रास्ते बड़ी मात्रा में सेब ईरान व टर्की के रास्ते हिंदुस्तान के बाजार में आ रहा है क्योंकि पुराने करार के कारण ईरान के सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती है.
चौपाल से विधायक बलवीर वर्मा ने सवाल करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अब तक वो वादा पूरा क्यों नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि सेब बागवान दाम खुद तय करेंगे. इस पर जगत नेगी ने कहा हमने भी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के हिसाब से वादा किया था.
बलवीर वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार ने सेब को किलो के हिसाब से बेचने, यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य करने, MIS की सारी देनदारी खत्म करने, कीटनाशकों पर सब्सिडी बहाल करने जैसे काम किए है. कांग्रेस सरकार बागवानों के हित में हर वो कदम नहीं उठा रही है, जो जरूरी है.