धौलासिद्ध में गैर कानूनी तरीके से पैचिंग प्लांट और क्रशर चलाया जा रहा है. क्रशर के लिए 20 मई को ''कंसेंट टू एस्टब्लिश'' का लेटर मिला था. किसी भी क्रशर को लगाने के लिए कम से कम दो-तीन महीने का समय लगता है. इसका मतलब यह हुआ कि अनुमति से पहले ही क्रशर लगाया गया और प्रोडक्शन की अनुमति के बिना ही काम शुरू कर दिया गया था.
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अरविंदर सिंह/हिमाचल: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया अध्यक्ष और प्रवक्ता अभिषेक राणा ने दस्तावेज और तस्वीरें साझा कर धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना में चल रही धांधली का खुलासा किया है. अभिषेक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 66 मेगावाट वाली जिस जल विद्युत परियोजना का शिलान्यास किया था, उसी में अवैध खनन देखने को मिल रहा है. धौलासिद्ध में गैर कानूनी तरीके से पैचिंग प्लांट और क्रशर चलाया जा रहा है.
युवाओं में रोष
धौलासिद्ध परियोजना से कुल 44 गांवों के लोग प्रभावित हुए हैं, लेकिन दस्तावेज से स्पष्ट है कि नौकरी पर रखे गए करीब आधे लोग बाहरी राज्यों से हैं. वहीं, जो हिमाचल से रखे गए हैं उनमें से भी बहुत कम लोग ऐसे हैं जो प्रभावित क्षेत्रों से आते हैं. अभिषेक ने बताया कि स्थानीय युवाओं के रिज्यूम एसजेवीएन के दफ्तर में पड़े हैं, जिन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है. इसे लेकर प्रदेश की जनता खासकर युवाओं में रोष है.
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20 मई को ''कंसेंट टू एस्टब्लिश'' का मिला था लेटर
अभिषेक ने कहा कि धौलासिद्ध में गैर कानूनी तरीके से पैचिंग प्लांट और क्रशर चलाया जा रहा है. क्रशर के लिए 20 मई को ''कंसेंट टू एस्टब्लिश'' का लेटर मिला था. किसी भी क्रशर को लगाने के लिए कम से कम दो-तीन महीने का समय लगता है. इसका मतलब यह हुआ कि अनुमति से पहले ही क्रशर लगाया गया और प्रोडक्शन की अनुमति के बिना ही काम शुरू कर दिया गया था.
माइनिंग ऑफिसर को भी कराया अवगत
प्रदेश में अवैध खनन पहले ही चरम सीमा पर है. ऐसे में जिस परियोजना का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री करके गए हों वहां ऐसा होना बेहद शर्मनाक है. इस मुद्दे पर सरकार मौन है. हमने इस संबंध में विभाग के माइनिंग ऑफिसर को भी अवगत कराया, जिसके बाद कुछ समय के लिए अवैध कार्य बंद हो गया, लेकिन अब फिर से रात के अंधेरे में यह काम शुरू कर दिया गया है.
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रोजगार देने की कही थी बात
अभिषेक ने यह भी बताया कि इस परियोजना का काम एसजेवीएन और हैदराबाद की निजी कंपनी ऋत्विक देख रही हैं. कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार इनका काम स्थानीय लोगों के साथ-साथ उन लोगों को 100 फीसदी रोजगार देना था जिनकी जमीनें इस परियोजना के अंतर्गत आई हैं. कॉन्ट्रैक्ट में स्पष्ट था कि जिन लोगों ने अपनी जमीनें दी हैं सबसे पहले उनके परिवार के योग्य सदस्यों को नौकरी दी जाएगी, इसके बाद जिले और फिर प्रदेश में योग्य लोगों की तलाश की जाएगी. अगर फिर भी योग्यता के अनुसार कोई व्यक्ति नहीं मिलता है तो प्रदेश से बाहर देखा जाएगा, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट के तहत स्थानीय लोगों को ही रोजगार नहीं मिल रहा है. दिल्ली, मध्यप्रदेश और यहां तक कि झारखंड के लोगों को काम पर रखा जा रहा है.
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10 दिन का दिया गया अल्टीमेटम
धौलासिद्ध परियोजना से जुड़ी कंपनियों और सरकारी अधिकारियों को इस संबंध में अवगत करवाया गया है. इसके बावजूद अवैध खनन भी जारी है और बाहरी लोगों को रोजगार देने का काम भी जारी है. अभिषेक ने कहा कि हम धौलासिद्ध परियोजना से जुड़ी कंपनियों को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हैं. अगर इन 10 दिनों में ये कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार स्थानीय लोगों को उनका हक नहीं देती हैं या अवैध काम बंद नहीं होते हैं तो युवा सड़कों पर उतरेंगे और धरना प्रदर्शन करेंगे.
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