आखिरी दिन कन्या पूजन करके व्रत का समापन किया जाता है।
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अंजली मुदगल/ नई दिल्ली: देशभर में आज से शारदीय नवरात्रि के महापर्व का शुभारंभ हो चुका है। नवरात्रि में 9 दिन तक मां के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।17 से शुरू होकर मां शक्ति की उपासना का यह महापर्व 25 अक्तूबर तक चलेगा। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन जहां घटस्थापना का विधान है तो वहीं आखिरी दिन कन्या पूजन करके व्रत का समापन किया जाता है।
कोरोना काल को देखते हुए कई जगहों पर मंदिरों में खास इंतजाम किए गए हैं। सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए भक्तों को मंदिर में जाने की इजाजत दी जा रही है। मंदिरों में बिना मास्क लगाए श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है, मंदिरों के बाहर भक्तों की लंबी कतारे देखी जा सकती है।
जानिए मां शैलपुत्री के बारे में-
पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां को शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री का स्वरूप बेहद शांत, सौम्य और प्रभावशाली है।
मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। उनकी सवारी नंदी बैल को माना जाता है। देवी सती ने जब पुर्नजन्म लिया तो वह पर्वतराज हिमालय के घर में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।
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