Khatu Shyam Jyanti: हिन्दु धर्म में इनका विशेष महत्व है. खाटू श्याम कृष्ण जी का कलयुगी अवतार है. राजस्थान में श्री खाटू शयाम जी का विशाल मन्दिर है जहां पर लोग दूर- दूर से उनके दर्शन करने आते हैं.
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Khatu Shyam Jyanti: हर साल देवउठनी एकादशी के दिन भगवान खाटू श्याम जी का जन्मदिन मनाया जाता है. इस साल खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन 12 नवंबर को मनाया जा रहा है इन्हें कृष्ण जी के कलयुगी अवतार में पूजा जाता है.
कौन हैं खाटू श्याम बाबा
खाटू श्याम पांडव पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे. वे द्वापर या महाभारत काल के समय में बर्बरीक के रूप में जाने जाते थे. खाटू श्याम में बचपन से ही तीन बाण धारी शक्तिशाली योद्धा होने के गुण थे. खाटू श्याम ने भगवान शिव की अराधना की जिस कारण भगवान शिव ने प्रसन्न हो के उन्हे तीन अभेद्य बाण वरदान दिए थे.
क्या है मान्यता
राजस्थान में श्री खाटू शयाम जी का विशाल मन्दिर है. इस मन्दिर की एक बहुत ही खास बात है. ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर में जो भी जाता है उसे हर बार खाटू श्याम का अलग और अनोखा रुप देखने को मिलता है. कई लोगों ने तो उनका आकार बदलता हुआ भी देखा है.
बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम
महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने अपनी माता अहिलावती के लिए इस युद्ध में जाने की इच्छा जाहिर की तो माता ने भी इसकी अनुमति दे दी. इस दौरान बर्बरीक ने अपनी मां से सवाल पूछा कि मैं युद्ध में किसका साथ दूं तो माता ने जवाब दिया कि हारे हुए का सहारा बनना लेकिन श्री कृष्ण को इस युद्ध का परिणाम पहले से ही पता था तो श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया.
बर्बरीक सोच में पड़ गया कि कोई ब्राह्मण मेरा शीश क्यों मांगेगा? यह सोच उन्होंने ब्राह्मण से उनके असली रूप के दर्शन की इच्छा व्यक्त की. जब उन्हे श्री कृष्ण जी के असली अवतार में दर्शन हुए तो बर्बरीक ने बिना सोचे- समझे तलवार से अपना शीश श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पण कर दिया इसलिए भगवान ने उनके शीश को युद्ध भूमि के समीप ही सबसे ऊंची पहाड़ी पर सुशोभित कर दिया जहां से बर्बरीक पूरा युद्ध देख सकते थे.
खाटू श्याम कैसे बने हारे का सहारा
युद्ध की समाप्त होने के बाद सभी पांडव विजय का श्रेय अपने ऊपर लेने लगे. सभी निर्णय के लिए श्रीकृष्ण के पास गए तो वह बोले मैं तो स्वयं व्यस्त था इसलिए मैं किसी का पराक्रम नहीं देख सका. तो श्री कृष्ण ने बर्बरीक के पास चलने को बोला. वहां पहुंच कर भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे पांडवों के पराक्रम के बारे में पूछा तो बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया भगवन युद्ध में आपका सुदर्शन चक्र नाच रहा था और जगदम्बा लहू का पान कर रही थीं, मुझे तो ये लोग कहीं भी नजर नहीं आए. बर्बरीक का उत्तर सुन सभी की नजरें नीचे झुक गईं. तब श्रीकृष्ण ने उनसे प्रसन्न होकर इनका नाम श्याम रख दिया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)