Himachal News: बिलासपुर में सीमेंट प्लांट को बंद हुए 35 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है. ऐसे में अब नाराज ट्रक ऑपरेटर्स ने कंपनी प्रबंधन सहित केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश महारैली निकाली.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में अडानी ग्रुप और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच माल ढुलाई भाड़े को लेकर चल रहा विवाद लगातार गर्माता जा रहा है. कांग्रेस सरकार द्वारा सब कमेटी बनाकर सीमेंट कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच समझौता करवाने के मकसद से एक के बाद एक बैठक आयोजित की जा रही हैं. इसके बावजूद माल ढुलाई भाड़े पर कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है.
15 दिसंबर को बंद हुआ था सीमेंट प्लांट
अडानी ग्रुप द्वारा 14 दिसंबर को एक तुगलकी फरमान जारी किया गया था, जिसमें 15 दिसंबर से प्रदेश के बरमाणा और दाड़लाघाट दोनों सीमेंट प्लांट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने के आदेश दिए थे. अडानी ग्रुप के आदेशानुसार दोनों सीमेंट प्लांट बंद कर दिए थे. ऐसे में अब सीमेंट प्लांट बंद हुए 35 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, जिसकी वजह से हजारों ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं.
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प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश महारैली का किया आयोजन
ऐसे में दोनों प्लांट से जुड़े ट्रक ऑपरेटर्स, चालक, ढाबा संचालक और स्पेयर पार्ट्स की दुकानदारों की माली हालत दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है, जिससे नाराज दोनों सीमेंट प्लांट के ट्रक ऑपरेटर्स ने कंपनी प्रबंधन सहित केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश महारैली का आयोजन किया और चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे 205 स्थित कोठीपुरा से उपायुक्त कार्यालय बिलासपुर तक पैदल आक्रोश रैली निकालकर अपनी नाराजगी जाहिर की.
क्या कहते हैं ट्रक ऑपरेटर्स?
इस मामले में ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन बरमाणा व दाड़लाघाट के पदाधिकारियों का कहना है कि ट्रक ऑपरेटर्स द्वारा माल ढुलाई भाड़े की तय कीमत को जब प्रदेश सरकार द्वारा गठित सब कमेटी ने भी सही ठहराया है तो कंपनी प्रबंधन इन कीमतों को देने से क्यों परहेज कर रहा है. वहीं, ट्रक ऑपरेटर्स का कहना है कि सीमेंट प्लांट बंद होने से उनकी आर्थिक हालत काफी दयनीय हो गई है.
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मांगे पूरी न होने पर होगा प्रदेश व्यापी आंदोलन
उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस दिशा में जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाती है और सीमेंट प्लांटस को जल्द खोलने के साथ ही उचित माल ढुलाई भाड़ा ट्रक ऑपरेटर्स को दिया जाता तो आने वाले समय में यह आक्रोश रैली प्रदेश व्यापी आंदोलन का रूप ले लेगी और अगर इससे प्रदेश में किसी भी तरह के गंभीर हालात पैदा होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व कंपनी प्रबंधन की ही होगी.
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