हिमाचल प्रदेश में 40 मेगावाट की रेणुका जी बांध परियोजना से जुड़े विस्थापितों के पक्ष में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपना फैसला सुना दिया है.
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देवेंद्र वर्मा/नाहन: 40 मेगावाट की रेणुका जी बांध परियोजना से जुड़े विस्थापितों के पक्ष में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कड़ा रुख अपनाया है. अदालत ने विस्थापितों के मुआवजे का भुगतान न करने पर रेणुका बांध प्रबंधन की तमाम संपत्ति को अटैच करने के निर्देश जारी किए हैं जिसका रेणुका बांध संघर्ष समिति ने स्वागत किया है.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने विस्थापितों के 42 करोड़ के मुआवजे का भुगतान न करने पर यह फैसला सुनाया है. करीब 100 परिवारों ने इस मामले को अदालत में चुनौती दी थी. रेणुका जी बांध परियोजना के बढ़ने से करीब 1142 परिवार विस्थापित होने हैं.
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मीडिया से बातचीत करते हुए रेणुका बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला ने बताया कि विस्थापितों की मांगों की तरफ प्रबंधन व सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया. ऐसे में मजबूर होकर लोगों को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जिसके बाद कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए बांध विस्थापितों को राहत दी है. उम्मीद है कि अब बांध विस्थापितों को न्याय मिलेगा.
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संघर्ष समिति के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले करीब 15 साल से रेणुका बांध संघर्ष समिति लगातार विस्थापितों की मांगों को उठा रही है, लेकिन विस्थापितों को उनके हक नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक विस्थापितों से जुड़ी सभी मांगे पूरी नहीं होती हैं. रेणुका बांध संघर्ष समिति लगातार इनकी मांगो को उठाती रहेगी. वहीं दूसरी तरफ कोर्ट के आदेशों के बाद यह जानकारी मिली है कि रेणुका बांध प्रबंधन ने हरकत में आते हुए 15 दिनों के भीतर रेणुका बांध के विस्थापितों को मुआवजा देने की बात कही है.
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