सिकल सेल एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जो RBC यानी रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है. सिकल सेल रोग में RBC कठोर हो जाती हैं जो डिफॉम्ड सेल्स ब्लड वेसल्स को रोक सकती हैं जिससे थकान, दर्द, संक्रमण आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
एस.सी.डी. के विभिन्न प्रकार हैं, लेकिन सबसे आम है सिकल सेल एनीमिया. अन्य में सिकल-हीमोग्लोबिन सी रोग और सिकल बीटा-थैलेसीमिया शामिल हैं. यह लक्षणों की गंभीरता प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकती है.
सिकल सेल रोग की पहली आधुनिक रिपोर्ट लगभग 1846 में आई थी. 2006 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने सिकल सेल रोग को मान्यता दी और 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस के रूप में चिह्नित किया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि सिकल-सेल रोग दुनिया भर में लगभग 100 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है और हर साल 300 000 से ज़्यादा बच्चे इस बीमारी के साथ पैदा होते हैं.
वैसे सिकल सेल रोग सभी जातियों में हो सकता है लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार यह रोग सबसे ज्यादा अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पैनिक लोगों में पाया जाता है.
सिकल सेल रोग के लक्षणों की बात करें तो इसमें आमतौर पर हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है. इसके अलावा थकान, कमजोरी, पीलापन, सांस लेने में दिक्क्त और किडनी की समस्याएं भी शामिल है. सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है जिसे जेनिटिक टेस्ट के जरिए पहचाना जा सकता है और इससे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलह जरूर लें.
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