Himachal: इस जानवर के पैरों के निशान मिलने से उत्तराखंड और हिमाचल वन्य जीव विभाग काफी खुश
Advertisement
Article Detail0/zeephh/zeephh1556136

Himachal: इस जानवर के पैरों के निशान मिलने से उत्तराखंड और हिमाचल वन्य जीव विभाग काफी खुश

Himachal Pradesh: पांवटा साहिब के वन क्षेत्र और कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में बाघ के पैरों के निशान मिले हैं, जिसके बाद उत्तराखंड और हिमाचल वन्य जीव विभाग काफी खुश हैं.

Himachal: इस जानवर के पैरों के निशान मिलने से उत्तराखंड और हिमाचल वन्य जीव विभाग काफी खुश

ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में वन क्षेत्र और कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में बाघ के पैरों के निशान मिलने से हिमाचल और उत्तराखंड वन्य जीव विभाग उत्साहित है. बुधवार को यहां उत्तराखंड के वन्य जीव विभाग ने वाइल्ड लाइफ मॉनिटरिंग की ट्रेनिग दी. देहरादून से आए वाइल्डलाइफ विभाग के वैटनरी अधिकारी डॉ. राकेश नॉटियाल ने पांवटा वन मंडल और कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क के अधिकारियों और कर्मचारियों को बाघ की मॉनिटरिंग के बारे जानकारी दी. इस दौरान विभाग की टीमों ने पांवटा वन मंडल और कनक शेरजंग नेशनल पार्क में बाघ की गतिविधियों का पता लगाने के लिए कैमरे भी इंस्टॉल किए हैं.

बाघ की उपस्थिति दर्ज होने पर वन विभाग काफी खुश
उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से पांवटा साहिब में पहले हाथियों के झुंड और अब टाइगर पहुंचा है. हिमाचल प्रदेश में पांवटा साहिब ऐसा पहला स्थान बन गया है जहां हाथी और बाघ पहुंचे हैं. हालांकि हाथी पिछले एक दशक से यहां चहलकदमी कर रहे हैं, लेकिन बाघ की आमद पहली बार दर्ज की गई है. पांवटा दून घाटी के वन क्षेत्र और कर्नल शेरजंग राष्ट्रीय उद्यान में कई जगह बाघ के पैरों के निशान मिले हैं. बाघ की उपस्थिति दर्ज होने पर वन विभाग और वन्यजीव विभाग काफी उत्साहित हैं.

ये भी पढ़ें- Punjab: जेल में बैठकर अब कोई नहीं कर पाएगा क्राइम, पंजाब गवर्नर ने बताया प्लान

इस क्षेत्र में लगाए गए ट्रैकिंग कैमरा 
लिहाजा दोनों विभाग बाग की आवभगत के इंतजामों में जुट गए हैं. इसके साथ ही वाइल्डलाइफ मॉनिटरिंग के भी इंतजाम किए जा रहे हैं. वन क्षेत्र और राष्ट्रीय उद्यान में जहां-जहां टाइगर के पगमार्क मिले हैं उन स्थानों पर ट्रैकिंग कैमरा लगाए जा रहे हैं हालांकि यह लगभग स्पष्ट है कि बाघ राजाजी नेशनल पार्क से घूमता हुआ पांवटा दून घाटी पहुंचा है, लेकिन यह नर है या फिर मादा इस बात का अभी पता नहीं चल पाया है. बाघ के बारे में पूरी जानकारी के लिए ट्रैकिंग कैमरा लगना जरूरी समझा जा रहा था. लिहाजा राष्ट्रीय उद्यान और वन क्षेत्र में लगभग एक दर्जन ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं.

उत्तराखंड के वन्य जीव विभाग के वेटरनरी विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश नौटियाल और उनकी टीम ने पांवटा साहिब में वन विभाग और वन्यजीव विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को वाइल्डलाइफ मॉनिटरिंग ट्रेनिंग भी दी. इस बात पर भी मंथन हुआ कि आखिर उत्तराखंड से हाथी और बाघ हिमाचल क्यों आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Gastroenteritis disease: आंत्रशोथ बीमारी फैलने का मुख्य कारण है दूषित पानी, बरती गई लापरवाही

डॉ. राकेश नॉटियाल ने दी जानकारी
डॉ. राकेश नॉटियाल ने बताया कि सबसे पहले बाघ की लोकेशन और गतिविधियों की जानकारी जुटाई जाएगी. इसके लिए ट्रैकिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजाजी नेशनल पार्क के मोतीचूर में अंडर पास बनने की वजह से बाघ और हाथियों के मूवमेंट बढ़ी है. यही कारण है कि यह दोनों प्रजाति के जानवर अब हिमाचल के तराई वाले क्षेत्रों में भी पहुंचने लगे है.

WATCH LIVE TV

Trending news