गाजा में इजरायल क्यों कर रहा है तीन दिनों के लिए सीजफायर, जानें पूरा मामला
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गाजा में इजरायल क्यों कर रहा है तीन दिनों के लिए सीजफायर, जानें पूरा मामला

Gaza News: गाजा में इजरायल के हमले जारी है. इस हमले में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें सबसे ज्यादा बच्चे और महिलाएं शामिल हैं. अब गाजा में इजरायल ने एक बड़ा कदम उठाया है. जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें..

गाजा में इजरायल क्यों कर रहा है तीन दिनों के लिए सीजफायर, जानें पूरा मामला

Gaza News: पिछले साल 7 अक्टूबर से गाजा में हिंसा जारी है. इस हिंसा की वजह से गाजा में पोलियो समेत कई वायरस फैल गए हैं. छोटे-छोटे बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं. इस बीच, इजरायल ने गाजा में युद्ध विराम पर सहमति जताई है. WHO ने इस खबर की तस्दीक की है.

WHO ने क्या कहा?
WHO ने कहा कि गाजा में बच्चों को पोलियो के टीकाकरण के लिए इजरायल ने सीजफायर के लिए राजी हो गया है. वहीं, गाजा पट्टी में चलाए जाने वाले इस टीकाकरण अभियान में छह लाख 40,000 बच्चों को टीका लगाया जाएगा. 1 सितंबर से शुरू होने वाला तीन दिवसीय अभियान मध्य, दक्षिणी और उत्तरी गाजा को कवर करेगा. सीजफायर अभियान के दिन स्थानीय समयानुसार सुबह 6:00 बजे से दोपहर 15:00 बजे तक प्रभावी रहेगा.

UN ने पोलियो का उठाया था मुद्दा
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि पोलियो के कारण 10 महीने की उम्र के बच्चे भी लकवाग्रस्त हो रहे हैं. गाजा में 25 साल में पोलियो का यह पहला मामला है.इस वक्त गाजा में ओरल पोलियो वैक्सीन की 12.6 लाख खुराक मौजूद है, जबकि 4 लाख खुराक जल्द ही पहुंचने वाली है.

इतने कर्मचारी लेंगे हिस्सा
इस टीकाकरण अभियान की निगरानी फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और यूएनआरडब्ल्यूए के सहयोग से करेगा. इसमें 2000 स्वास्थ्य कर्मचारी हिस्सा लेंगे. डब्ल्यूएचओ को गाजा पट्टी में 90 फीसद टीकाकरण करना है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि संघर्ष से पहले गाजा और वेस्ट बैंक में टीकाकरण पर्याप्त था. मीडिया रिपोर्ट मुताबिक, 2022 में गाजा और वेस्ट बैंक में 99 फीसद टीकाकरण हुआ, जो पिछले साल घटकर 89 फीसद रह गया था.

गाजा में अब तक कितने लोगों की हुई मौत
गौरतलब है कि गाजा में पिछले साल 7 अक्टूबर से हिंसा जारी है. इस हिंसा में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 90 हजार से ज्यादा जख्मी हुए हैं. इस हिंसा में सबसे ज्यादा बच्चों और महिलाओं की मौत हुई है. 

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