दरअसल 16 साल पहले स्कूल में पढ़ाई के दौरान बिजली के तार गिरने से हुए हादसे में गुलाम हसन के दोनों पैर और एक हाथ पूरी तरह से नाकारा हो गए थे.
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बडगाम/शौकत बेग: भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर न सिर्फ दुश्मनों को उनके अंजाम तक पहुंचाती है बल्कि वहां के लोगों की मदद भी करती है. इसकी पहले भी कई मिसाल मिल चुकी हैं. हाल ही में भारतीय सेना ने एक दिव्यांग छात्र की मदद कर उसकी आगे की पढ़ाई के लिए सहारा दिया.
जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले के शरीफाबाद में भारतीय सेना की किलो फोर्स की तरफ से दिव्यांग छात्र गुलाम हसन को इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी देकर उसकी पढ़ाई जारी रखने में मदद की गई.
दरअसल 16 साल पहले स्कूल में पढ़ाई के दौरान बिजली के तार गिरने से हुए हादसे में गुलाम हसन के दोनों पैर और एक हाथ पूरी तरह से नाकारा हो गए थे. हाथ पैर क्षतिग्रस्त होने की वजह से स्कूल पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. शरीर का वजन भी बढ़ने से उसे चलने में काफी दिक्कत हो रही थी
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जिसके बाद भारतीय सेना ने उसके लिए मसीहा बनकर आगे आई और उसे तोहफे में स्कूटी दी. फौज की इस दरियादिली पर छात्र के पिता अली मोहम्मद ने भारतीय सेना के अधिकारियों को शुक्रिया कहा. उन्होंने कहा कि बेटे को इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी मिलने से अब वो अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकेगा. उन्होंने बताया कि गुलाम हसन को आ रही परेशानियों की वजह से वो अपनी पढ़ाई छोड़ने वाला था लेकिन अब वो अपनी हॉयर एजुकेशन हासिल कर सकेगा
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पीड़ित परिवार ने कई बार जिला प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन जिला प्रशासन पीड़ित परिवार की गुहार को अनदेखा करता रहा. जब भारतीय सेना के अधिकारियों को इस बारे में पता चला तो दिव्यांग छात्र के पिता ने सेना के अधिकारियों से मदद मांगी. इसके बाद भारतीय सेना ने दिव्यांग छात्र को स्कूल-आने जाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी की व्यवस्था की. ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके. बडगाम में भारतीय सेना की तरफ से अवाम और हमसाया कार्यक्रम के तहत दिव्यांग छात्र को ये मदद की गई.
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