Darul Uloom : फिल्मी गानों पर बनाती थी रील, अब दारुल उलूम ने महिलाओं की एंट्री की बैन; जानें मुस्लिम महिलाओं ने क्या कहा?
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2252599

Darul Uloom : फिल्मी गानों पर बनाती थी रील, अब दारुल उलूम ने महिलाओं की एंट्री की बैन; जानें मुस्लिम महिलाओं ने क्या कहा?

Saharanpur News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित दारुल उलूम देवबंद ने महिलाओं की एंट्री बैन कर दी है. मैनेजमेंट के मुताबिक महिलाएं यहां आकर रील बनाती थी और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देती थी. जिसके कारण यह फैसला लिया गया है.

 

Darul Uloom : फिल्मी गानों पर बनाती थी रील, अब दारुल उलूम ने महिलाओं की एंट्री की बैन; जानें मुस्लिम महिलाओं ने क्या कहा?

Darul Uloom Deoband Bans Womens: विश्व की मशहूर इस्लामिक यूनिवर्सिटी दारुल उलूम देवबन्द में महिलाओं की एंट्री को पूर्णरूप से प्रतिबंध कर दिया गया है. देवबंद मैनेजमेंट के इस फैसले से सभी हैरत में हैं. लेकिन दारुल उलूम के जिम्मेदार समेत कई लोग इस फैसले को सही बता रहे हैं.  प्रबंधन का कहना है कि महिलाएं और लड़कियां यहां पर आकर रील बनाती थीं, जिससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई मुतासिर हो रही थी. सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर मुल्कभर से इसकी शिकायतें भी आ रही थीं. तब यह फैसला लिया गया.

वहीं, दारुल दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बताया कि दारुल उलूम के कैंपस में ख्वातीन (महिलाओं) के एंट्री पर पाबंदी लगाई है. बहुत ज्यादा तादाद में महिलाएं यहां आकर वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रही थीं, जिसके कारण देश और विदेश में इदारे ( Institute ) की छवि खराब हो रही थी. हालांकि, इस मामले को लेकर दारुल उलूम ने कोई भी बयान या लेटर जारी नहीं किया है. सिर्फ मीटिंग कर यह फैसला लिया गया है.

कैंपस समेत इन दो जगहों पर लगाई पाबंदी  
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दारुल उलूम अपने फतवों को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहा है. अब दारुल उलूम में महिलाओं के एंट्री पर रोक लगाकर लगाकर एक नए चर्चे को जन्म दे दिया है. वहीं,दारुल उलूम ने बताया कि महिलाएं यहां रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करती थीं, जिससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई डिस्टर्ब होती थी. दारुल उलूम एक इदारा है, जहां तालीम हासिल करने के लिए बच्चे दूर-दराज के स्टेट से आते हैं. दारुल उलूम की माने तो संस्था के अंदर बना दिन लाइब्रेरी और एशिया की मशहूर मस्जिद रशीदिया में भी महिलाएं नहीं जा सकेंगी. इतना ही नहीं जिन लोगों के बच्चे यहां पढ़ रहे हैं उनके बच्चों की मां बहने भी अंदर नहीं आ सकेंगे. इसकी एक बहुत बड़ी वजह महिलाओं द्वारा रील बनाकर सोशल मीडिया पर डाल देना है.

इस फैसले से किसी को भी ऐतराज नहीं होना चाहिए; कारी इश्हाक 
इससे जुड़े जमियत दावतुल मुसलीमीन के सरपरस्त व मशहूर दीन ए-आलिम कारी इश्हाक गोरा का कहना है कि सभी संस्थाओं के अपने नियम और कायदे होते हैं. वह अपने मुताबिक नियमों में बदलाव कर सकते हैं. जिस तरह की शिकायत लगातार आ रही थी उसको देते हुए यह फैसला लिया गया है, इस फैसले से किसी को भी ऐतराज नहीं होना चाहिए.

मुस्लिम महिलाों ने दीं प्रतिक्रिया
वहीं, इस फैसले पर कुछ मुस्लिम महिलाओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.शलीला बेगम नाम की एक महिला ने कहा कि मैनेजमेंट ने बिल्कुल सही फैसाल लिया है.  एक दूसरी खातून ने शबनम ने कहा कि कुछ गलत चीजों को रोकने में समझदारी होती है उन्होंने रोका है.

Trending news