सेंट्रल विस्टा में टूट जाएंगी ये 5 ऐतिहासिक मस्जिदें; इनकी सुरक्षा चाहता है दिल्ली वक्फ बोर्ड
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सेंट्रल विस्टा में टूट जाएंगी ये 5 ऐतिहासिक मस्जिदें; इनकी सुरक्षा चाहता है दिल्ली वक्फ बोर्ड

Delhi Waqf Board: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि वह चाहता है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत हो रहे काम के दौरान उसे उसकी संपत्तियों से बेदख न किया जाए.

सेंट्रल विस्टा में टूट जाएंगी ये 5 ऐतिहासिक मस्जिदें; इनकी सुरक्षा चाहता है दिल्ली वक्फ बोर्ड

Delhi Waqf Board: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड से कहा कि जब भी केंद्र ‘सेंट्रल विस्टा’ पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत उसकी संपत्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करे तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है. जज पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिली हुई है और उन्होंने बोर्ड से 2021 में दायर अपनी याचिका वापस लेने को कहा. बोर्ड ने इस अर्जी में इलाके में अपनी छह संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हिदायत देने की गुजारिश की थी.

आश्वासन चाह रहा है बोर्ड
अर्जीगुजार की तरफ से अदालत में पेश सीनियर वकील ने कहा कि वक्फ बोर्ड यह नहीं कह रहा है कि "सेंट्रल विस्टा परियोजना को खत्म करना होगा", बल्कि वह केवल यह आश्वासन चाह रहा है कि उसे उसकी संपत्तियों से बेदखल नहीं किया जाएगा. जज ने कहा, "इस याचिका को वापस ले लीजिए. हम मामले को उलझाना नहीं चाहते. जब भी वे कोई कार्रवाई करेंगे, आप आ सकते हैं." 

दायर करें नई याचिका
अदालत ने बोर्ड को याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए कहा कि अगर जरूरी हो तो वह नई याचिका दायर कर सकता है. बोर्ड ने 2021 में इलाके में अपनी छह संपत्तियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था. इलाके में उस समय पुनर्विकास काम किया जा रहा था. बोर्ड की इन संपत्तियों में मानसिंह रोड पर मस्जिद ज़ब्ता गंज, रेड क्रॉस रोड पर जामा मस्जिद, उद्योग भवन के पास मस्जिद सुनहरी बाग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग के पीछे मजार सुनहरी बाग रोड, कृषि भवन परिसर के अंदर मस्जिद कृषि भवन और उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के अंदर मौजूद मस्जिद शामिल है. 

सुरक्षित हैं वक्फ की संपत्तियां
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिसंबर 2021 में हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था कि परियोजना के आसपास के क्षेत्र में दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर “कुछ नहीं हो रहा है”. उन्होंने कहा था कि “लंबी योजना” होने के कारण, पुनर्विकास संबंधित संपत्तियों तक नहीं पहुंचा है.

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