ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग पर पूजा मामले में हो फैसला; HC का निचली अदालत को निर्देश
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2141275

ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग पर पूजा मामले में हो फैसला; HC का निचली अदालत को निर्देश

Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी अदालत को आदेश दिया है कि वह उस मामले पर जल्द फैसला दे, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में पाए गए कथित शिवलिंग पर पूजा की इजाजत मांगी जा रही है.

ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग पर पूजा मामले में हो फैसला; HC का निचली अदालत को निर्देश

Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी अदालत को हिदायत दी है कि मई 2022 में ज्ञानवापी परिसर में पाए गए कथित शिवलिंग की पूजा के अधिकार वाली अर्जी पर 8 हफ्तों में फैसला करे.

2022 में मिला कथित शिवलिंग
16 मई, 2022 को, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के दौरान, वज़ुखाना क्षेत्र में मिली एक संरचना पर हिंदू पक्ष ने 'शिवलिंग' होने का दावा किया था. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि यह 'फव्वारा' है. मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण आदालत के आदेश पर कराया गया था.

लंबित थी याचिका
न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने विवेक सोनी और एक अन्य व्यक्ति की तरफ से दायर अर्जी पर ये आदेश पारित किया. इन लोगों ने साल 2022 से वाराणसी में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के सामने लंबित अपने अंतरिम आवेदन के शीघ्र निपटान का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. यह आवेदन मुकदमे के लंबित रहने के दौरान दायर किया गया है, जिसमें अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के खिलाफ कथित 'शिवलिंग' की पूजा में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है. 

कोर्ट ने क्या कहा?
साल 2022 में दायर मुकदमे में, वादी ने कथित 'शिवलिंग' पर प्रार्थना करने में किसी भी हस्तक्षेप को रोकने के लिए मस्जिद समिति और अन्य के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की है.
याचिका का निपटारा करते हुए, उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी के अपने आदेश में कहा, "वर्तमान याचिका का अंतिम रूप से निपटारा किया जाता है, जिसमें सिविल जज (सीनियर डिवीजन) वाराणसी को अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन (6सी आवेदन) पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है.) कानून के अनुसार, संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद और किसी भी पक्ष को अनावश्यक स्थगन दिए बिना, इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तारीख आठ सप्ताह है."

Trending news