Sir Sayed Ahmmad Khan Birthday: क्या आप जानते हैं, कैसे हुई थी AMU की स्थापना ?
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Sir Sayed Ahmmad Khan Birthday: क्या आप जानते हैं, कैसे हुई थी AMU की स्थापना ?

 आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक, महान समाज सुधारक, न्यायधीश और शिक्षविद सर सय्यद अहमद खान का जन्मदिन है. उन्होंने मुस्लिम समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कई काम किये थे. उन्हीं में से एक था AMU की स्थापना. आइये जानते हैं किन परिस्थितियों में उन्होंने AMU की नीव रखी थी.  

Sir Sayed Ahmmad Khan Birthday: क्या आप जानते हैं, कैसे हुई थी AMU की स्थापना ?

लीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आज एक विश्वविख्यात शिक्षण संस्थान के तौर पर जाना जाता है. इसकी स्थापना महान समाज सुधारक, न्यायधीश, शिक्षविद सर सय्यद अहमद खान ने की थी. 
आज ए एम यू सहित विश्वभर में सर सैयद अहमद खान का जन्म दिन मनाया जा रहा है. इसके पीछे उस महान व्यक्तित्व की दूरदर्शिता और कौम के प्रति लगन और प्रेम को उद्घाटित करता है. आज के शिक्षक और छात्रों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि वर्तमान समय में और शिद्दत के साथ इस संस्था को आगे बढ़ाया जाए व देश सेवा का पुनीत कर्म साकार किया जा सके.        

पहले इसकी सथापना एक छोटे से मदरसे मदरसा ए उलूम के तौर पर की गई थी. बाद में यह 7 जनवरी, 1877 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के रूप में परिवर्तित हुआ, और यही कॉलेज 1920 में एक विश्वविद्यालय के रूप में वजूद में आया.  जिस वक़्त भारत में ब्रिटिश शासन काल था और भारतीय मुसलमानों के हाथों से सत्ता जा चुकी थी. इस वजह से उनमें उदासीनता और असुरक्षा का वातावरण बढ़ता जा रहा था.  ऊपर से अंग्रेजी हुकूमत भी उनको संदेह की दृष्टि से देखती थी और हिंदू मुसलमानों में आपसी भाईचारा स्थापित न हो सके, इसके लिए षड्यंत्र रचती रहती थी.

 मुसलमान आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षिक क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे थे. उस दौर में सर सैयद अहमद खान ने यह महसूस किया कि इन परिस्थितियों में भारतीय मुसलमानों को सिर्फ और सिर्फ शिक्षा का सहारा लेना आवश्यक है. अगर भारतीय मुसलमान शिक्षा के मैदान में आगे बढ़ते हैं, तो इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति खुद ब खुद बेहतर हो जाएगी.       

सर सैयद अहमद खान और कॉलेज से जुड़ा आंदोलन अलीगढ़ आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा , जिसने आधुनिक शिक्षा प्रणाली स्थापित करने की ज़रुरत को महसूस करने पर जोर दिया.  उन्होंने मुसलमानों के राजनीतिक प्रभाव को बनाए रखने के लिए अंग्रेजी और पश्चिमी विज्ञान में दक्षता को आवश्यक कौशल माना.  सर सैयद अहमद खान के साथ इस काम में उनके मित्रों शिबली नोमानी, सर रोस मसूद, आदि ने  बहुत सहयोग दिया. 1900 में , कॉलेज को एक विश्वविद्यालय के रूप में बदलने के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी एसोसिएशन का गठन किया गया. भारत सरकार ने एसोसिएशन को सूचित किया कि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए तीस लाख रुपये की धनराशि एकत्र की जानी चाहिए. इसलिए, एक मुस्लिम विश्वविद्यालय फाउंडेशन सोसाइटी स्थापित की गई जिसके तहत आवश्यक धन एकत्र किया गया.

इस समिति में मुसलमानों के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों ने भी आर्थिक योगदान दिया था. इसी भावना और प्रेम भाव को देखते हुए सर सैयद अहमद ने कहा था कि हिंदू मुसलमान हिंदुस्तान रूपी दुल्हन की दो सुंदर आंखें हैं. मोहम्मद अली, मोहम्मद खान और आगा खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करके इस विचार को साकार करने में अपना योगदान दिया और मुस्लिम विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करके इस विचार को साकार करने में मदद की थी. एमएओ कॉलेज के केंद्र के रूप में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम 1920 द्वारा की गई.  1927 में, दृष्टिबाधित छात्रों के लिए अहमदी स्कूल फॉर द ब्लाइंड, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी.

 यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय अजमल खान तिब्बिया कॉलेज अस्पताल की स्थापना 1932 में हुई थी. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना 1962 में विश्वविद्यालय के एक भाग के रूप में की गई. 1935 में, जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी को भी विश्वविद्यालय के एक घटक के रूप में स्थापित किया गया.  जिसके अंतर्गत साइंस एंड टेक्नोलॉजी की शिक्षा से देश विदेश में यहां के छात्रों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम रोशन करना शुरू कर दिया.                         

:- डॉक्टर जुल्फिकार 
लेखक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ से जुड़े हैं. 

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