सऊदी अरब में बिना हिजाब सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने पर लड़की को 11 साल की सजा !
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सऊदी अरब में बिना हिजाब सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने पर लड़की को 11 साल की सजा !

Saudi women's rights activist sentenced to 11 years in prison: सऊदी अरब में लड़की को महिला अधिकारों के लिए सोशल प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखने के लिए कोर्ट ने सजा दी है, इसके बाद दुनियाभर के लोगों और मानवाधिकार समूहों ने इस बात के लिए सरकार की आलोचना की है. 

सऊदी कार्यकर्ता मनाहेल अल-ओताबी

Saudi women's rights activist sentenced to 11 years in prison: सऊदी अरब के प्रिंस सलमान सत्ता संभालने के बाद हाल के वर्षों में कई उदारवादी बदलावों को लेकर चर्चा में रहे हैं. खासतौर पर महिलाओं और उनके अधिकारों में उन्हें आजादी देने पर दुनियाभर में सलमान की प्रशंसा की गई है. लेकिन देश में एक महिला को महिला अधिकारों की वकालत करने के लिए 11 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद सऊदी अरब की सरकार की खूब किरकिरी हो रही है. कोर्ट के इस फैसले ने सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर कर दिया है, जिसके बाद दुनियाभर के लोगों और मानवाधिकार समूहों ने इस बात के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं.  

सीएनएन ने मानवाधिकार संगठनों का हवाला देते हुए बताया कि 29 वर्षीय सऊदी कार्यकर्ता मनाहेल अल-ओताबी (Manahel al-Otaibi) को महिलाओं के अधिकारों और उनके पहनावे की वकालत करने के लिए 11 साल जेल की सजा सुनाई गई है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल और लंदन के एक सऊदी अधिकार समूह के मुताबिक, 9 जनवरी, 2024 को सऊदी अरब के विशेष आपराधिक न्यायालय द्वारा सुनाई गई इस सजा का खुलासा संयुक्त राष्ट्र की जांच के बाद किया गया है.

मनवाधिकार समूह वॉचडॉग के एक संयुक्त बयान के मुताबिक, अल-ओताइबी पर लगने वाले इल्जाम कथित तौर पर उसके कपड़ों की पसंद और ऑनलाइन सक्रियता से जुड़े हैं, जिसमें सऊदी अरब में महिलाओं की पुरुष संरक्षण प्रणाली को खत्म करने की वकालत करना, खुद के वीडियो साझा करने, और बिना अबाया पहने बाहर जाना शामिल है, जिसे अधिकारियों ने “अशोभनीय“ माना है.
 
गौरतलब है कि इससे पहले अल-ओताबी की बहन, फ़ौज़िया अल-ओताबी को भी इसी तरह के इल्जामों का सामना करना पड़ा था.  2022 में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद वह लड़की सऊदी अरब से भागने में कामयाब रही.

जिनेवा में सऊदी अरब के मिशन ने जनवरी में संयुक्त राष्ट्र की जांच का जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि अल-ओतैबी को वैध वारंट के तहत कानून के मुताबिक, गिरफ्तार किया गया था और वह आतंकवादी अपराधों की मुल्जिम है. मिशन ने जोर देकर कहा कि देश में किसी भी शख्स को अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का प्रयोग करने के लिए हिरासत में नहीं लिया जाता है, और राज्य  धर्म, जाति, लिंग या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना लोगों से उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं.

सऊदी अरब पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रचारक, बिसन फकीह ने अल-ओतैबी की सजा और सजा की निंदा की करते हुए, इसे “भयानक और क्रूर अन्याय“ बताया है. 

हाल के कुछ वर्षों में सऊदी हुकूमत ने पुरुष संरक्षण प्रणाली को खत्म करने में कुछ तरक्की की है, लेकिन इसके बावजूद एमनेस्टी और एएलक्यूएसटी के मुताबिक, कई भेदभावपूर्ण प्रथाएं आज भी जारी हैं. 
विडंबना यह है कि अल-ओताबी को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सुधार के वादों पर विश्वास था, फिर भी उसने नवंबर 2022 में खुद को उन्हीं स्वतंत्रताओं का प्रयोग करने के लिए गिरफ्तार पाया, जिनके बारे में उसने सोचा था कि उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है.

गौरतलब है कि अल-ओताइबी को ये सज़ा सऊदी अरब में, ख़ासकर ऑनलाइन, अभिव्यक्ति की आज़ादी के बढ़ते चलन को लेकर दी गई है. पिछले दो वर्षों में, सऊदी अदालतों ने सोशल मीडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के लिए कई महिलाओं सहित कई व्यक्तियों को लंबी जेल की सजा सुनाई है.

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