ओवैसी ने क्यों शेयर की राहत इंदौरी की शायरी, लिखा- तुम्हें सियासत ने हक दिया है....
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ओवैसी ने क्यों शेयर की राहत इंदौरी की शायरी, लिखा- तुम्हें सियासत ने हक दिया है....

Naroda Gam Case: AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इशारों इशारों में सरकार पर हमला बोला है. दरअसल नरोदा गाम मामले पर आए अदालत के फैसले के बाद ओवैसी ने राहत इंदौरी की शायरी पोस्ट की है. पढ़िए आखिर ऐसा क्या लिखा उन्होंने

ओवैसी ने क्यों शेयर की राहत इंदौरी की शायरी, लिखा- तुम्हें सियासत ने हक दिया है....

Asaduddin Owaisi: अहमदाबाद की एक स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को 2002 के नरोदा गाम कत्लआम मामले में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल समेत सभी 69 आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में अपोज़ीशन ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अपील भी तुम, दलील भी तुम गवाह भी तुम वकील भी तुम जिसे चाहे हराम कह दो और जिसे चाहे हलाल कर दो. 

आरोपियों को बरी करने के फैसले के कुछ देर बाद ही ओवैसी ने दिग्गज शायर राहल इंदौरी का शेर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा:-
जिधर से गुजरो धुआं बिछा दो 
जहां भी पहुंचो धमाल कर दो
तुम्हें सियासत ने हक दिया है
हरी जमीनों को लाल कर दो 
अपील भी तुम, दलील भी तुम 
गवाह भी तुम, वकील भी तुम 
जिसे भी चाहो हराम कह दो
जिसे भी चाहो हलाल कर दो.

बता दें कि यह मामला गुजरात में सांप्रदायिक दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों के कत्ल से जुड़ा है. फैसला स्पेशल जज शुभदा बक्शी ने सुनाया. यह मामला 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के बाद गुजरात में हुए नौ बड़े दंगों में से एक था. 2002 के गुजरात दंगों के मामलों की फौरन सुनवाई के लिए नामित अदालतों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बावजूद नरोदा गाम मामले में फैसले तक पहुंचने में कई साल लग गए.

अभियोजन पक्ष की देरी और बचाव पक्ष द्वारा नियोजित टालमटोल की रणनीति को रिकॉर्ड करने वाले कई पिछले आदेशों के साथ पांच न्यायाधीशों द्वारा परीक्षण किया गया था।
अभियोजन पक्ष के लगभग 182 गवाहों को सुनने के बाद 5 अप्रैल को मुकदमा समाप्त हुआ था। 86 अभियुक्तों में से 17 के खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया था और 69 अभियुक्तों ने मुकदमे का समना किया था, जिनमें से सभी वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं।

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, आपराधिक साजिश, गैरकानूनी जमावाड़ा, दंगा, डकैती, सबूत मिटाने, उकसाने, जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और शस्त्र अधिनियम सहित कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था. नरोडा गाम नरसंहार 28 फरवरी 2002 को हुआ था. 

अदालत ने माया और बजरंगी को 2012 में गुजरात दंगों के सबसे भीषण नरसंहार नरोदा पाटिया मामले में मुजरिम ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, गुजरात हाईकोर्ट ने 2018 में बजरंगी की सजा को बरकरार रखते हुए माया कोडनानी को बरी कर दिया था.

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