Assam vs Delhi Schools: किस राज्य की शिक्षा व्यवस्था और स्कूल ज्यादा बेहतर हैं, इस सवाल पर पिछले चार दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ट्विटर पर भिड़े हुए हैं. इसी बीच असम के एक बदहाल स्कूल की खबर आ गई है.
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गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद: पिछले चार दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के बीच दोनों राज्यों के स्कूली व्यवस्था में कौन बेहतर है, इसे लेकर ट्विटर पर जंग जारी है. इसी बीच असम से एक खबर आई है, जहां एक झोपड़ी के बाहर स्कूल के बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. यह एक सरकारी स्कूल है, और यहां 150 के आसपास बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस प्राथमिक स्कूल में सुविधाओं के नाम पर सिर्फ एक झोपड़ी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है. इस स्कूल ने असम के खस्ता हाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है, जिसके लिए दो राज्यों के मुख्यमंत्री पिछले चार दिनों से सोशल मीडिया पर आपस में भिड़े हुए हैं. शनिवार को केजरीवाल ने ट्वीट कर शर्मा से पूछा है कि स्कूल देखने मैं असम कब आउं?
इस सरकारी प्राथमिक स्कूल में कुल 154 बच्चे पढ़ते हैं, जिसे पढ़ाने के लिए सिर्फ दो टीचर है। पहली और दूसरी क्लास आसमान के नीचे लगती है, जबकि ३ से ५ वीं की क्लास टूटी हुई सरकारी झोंपड़ी में। pic.twitter.com/vt43In6RIA
— Husain Tabish (@HusainTabish1) August 27, 2022
एक झोंपड़ी के भरोसे चलती है पांच कक्षाएं
असम के गुवाहाटी के पास के जिला नलबाड़ी के बरखेत्री इलाके का एक सरकारी स्कूल इस 21वीं सदी में भी खुले आसमान के नीचे चल रहा है. नलबाड़ी जिले के बरखेत्री सरकारी शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. बरखेत्री के दक्षिण बैल बेली प्राथमिक विद्यालय के पास सुविधाओं के नाम पर एक झोपड़ी के सिवाय कुछ नहीं है. इस टूटी-फूटी झोंपड़ी में ही पिछले कई सालों से क्लास 3 से लेकर 5 तक की कक्षाएं संचालित की जा रही है. वहीं पहली और दूसरी कक्षा हमेशा खुले आसमान के नीचे लगाई जाती है.
असम के सरकारी स्कूल। एक कमरे में बैठकर पढ़ाई करते तीन क्लास के छात्र। pic.twitter.com/Jcv75Ijotr
— Husain Tabish (@HusainTabish1) August 27, 2022
पांच कक्षाओं और 154 छात्रों पर सिर्फ दो मास्टर
इस स्कूल के शिक्षक कहते हैं, ’’सरकार ने इस इलाके के जितने भी विद्यालय हैं, उसपर आज तक नजर नहीं डाला. हम सालों से इसी तरह ही एक ही रुम में तीन क्लासेस चला रहे हैं. इसके साथ ही दो क्लास खुले आसमान के नीचे चल रही है.’’ शिक्षक ने कहा, ’’ इतनी असुविधाओं के बावजूद हमारे स्कूल में बच्चे शिक्षा लेने आते हैं, क्योंकि उनके सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं है.’’ गार्जियन भी इस बात की शिकायत करते हैं कि इस स्कूल में सिर्फ दो ही शिक्षक हैं, जिस वजह से बच्चों की ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं हो पाती है. इस विद्यालय में 154 छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.
मंत्री-विधायकों ने खोल दिए हैं निजी स्कूल
इस मामले पर एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम ने भी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े मंत्री और विधायकों ने अपने प्राइवेट स्कूल खोल कर बैठ गए हैं. इसीलिए सरकारी स्कूल में कोई भी सुविधा नहीं दे रहे हैं. ऐसा करने से गवर्नमेंट स्कूल एक दिन बंद हो जाएंगे और लोग मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने लगेंगे. लेकिन जो लोग गरीब हैं, और उनके पास निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए पैसे नहीं है, उनका जीवन में शिक्षा का अंधकार फैल जाएगा. विधायक ने कहा कि इस बार सितंबर महीने में जो असेंबली सेशन होने वाली है उसमें एआईयूडीएफ इस स्कूल का मुद्दा उठाएगा.
असम के मुख्यमंत्री केजरीवाल को दे चुके हैं चुनौती
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के बीच स्कूलों के स्टैंडर्ड को लेकर यह विवाद तब शुरू हुआ था जब, केजरीवाल ने असम की एक खबर शेयर की थी, जिसमें यह बताया गया था कि असम सरकार ने वैसे स्कूलों को पूरी तरह बंद कर दिया है, जहां के सभी बच्चे परीक्षा में फेल कर गए थे. केजरीवाल ने ट्वीट किया था कि स्कूल बंद करना कोई समाधान नहीं है, देश में और स्कूल खोलने की जरूरत है. केरजीवाल के जवाब में हिमंत विश्व शर्मा ने दिल्ली को एक निगम सरकार बताकर मजाक उड़ाते हुए कहा था कि प्रिय केजरीवाल जी, आपकी अज्ञानता दुखी करने वाली है. असम दिल्ली से 50 गुना ज्यादा बड़ा है.
दिल्ली के मुकाबले असम में हैं इतने स्कूल और शिक्षक
हमारे प्रदेश के 44,521 स्कूलों में 65 लाख छात्र पढ़ाई करते हैं, जबकि आपके यहां सिर्फ एक हजार के आसपास ही स्कूल हैं. हमारे यहां दो लाख से ज्यादा समर्पित शिक्षकों की फौज है, और 1.18 लाख मिड-डे मील के कर्मचारी हैं. एक दूसरे ट्वीट में शर्मा ने कहा था, ‘‘और सुनिए जब आप असम में होंगे तो मैं आपको हमारे मेडिकल कॉलेजों में ले जाऊंगा जो आपके मोहल्ला क्लीनिक से एक हजार गुना बेहतर हैं. आप हमारे प्रतिभाशाली सरकारी स्कूल के शिक्षकों और छात्रों से भी मुलाकात कीजिएगा. और हाँ, आप देश को नंबर वन बनाने की चिंता छोड़ दें, वह काम मोदी जी कर रहे हैं.’’
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