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इंजीनियरिंग कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर नौकरी छोड़कर बन गया कूली; आखिर क्या थी मजबूरी ?

यह मामला हैदराबाद के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज का है. इस मामले में पुलिस ने प्रोफेसर को फल मंडी में कूली का काम करते हुए पकड़कर घर वालों को सौंप दिया है. 

इंजीनियरिंग कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर नौकरी छोड़कर बन गया कूली; आखिर क्या थी मजबूरी ?

नई दिल्लीः भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे बढ़ी मानव आबादी वाला देश बन गया है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ पहुंच गई है. संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के मुताबिक, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है, जबकि अब भारत 142 करोड़ 86 लाख जनसंख्या के साथ दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन चुका है. वहीं तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा  आबादी वाले देश अमेरिका की कुल आबादी अब 34 करोड़ हो गई है.  

दुनिया की कुल आबादी का 18 फीसदी अकेले भारत में 
आबादी के मुताबिक क्षेत्रफल की बात करें तो भारत के पास पूरी दुनिया की जमीन का सिर्फ 2 फीसदी हिस्सा है जबकि चीन के पास 6.3 फीसदी हिस्सा है. जबकि दुनिया की कुल आबादी के 18 फीसदी लोग भारत में रहते हैं और लगभग 18 फीसदी लोग चीन में रहते हैं.   

भारत और चीनी नागरिकों की औसत आयु 
भारत में महिलाओं की औसत उम्र 74 वर्ष और पुरुषों की 71 वर्ष है, जबकि चीन में पुरुष औसतन 76 वर्ष और महिलाएं 82 वर्ष तक जीती हैं. महिलाओं का फर्टिलिटी रेट यानी बच्चे पैदा करने की क्षमता भारत में प्रति महिला पर 2 है, जबकि चीन का औसत 1.2 है. वहीं विश्व का औसत 2.1 है. 

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भारत में है दुनिया की सबसे नौजवान आबादी 
भारत में 15 से 64 वर्ष के 68 प्रतिशत लोग रहते हैं. यानी मोटे तौर पर भारत युवाओं का देश है. भारत में 15 से 24 साल के 25 करोड़ 40 लाख युवा आबादी है. यानी दुनिया में सबसे ज्यादा युवा शक्ति भारत के पास है. वहीं, चीन में 65 साल से ज्यादा के 14 प्रतिशत लोग हैं, लेकिन भारत में 65 वर्ष से ज्यादा लोगों का प्रतिशत सिर्फ 7 फीसदी है. चीन धीरे-धीरे बूढ़ों का देश बनता जा रहा है.

भारत के सामने ये हैं चुनौतियां 
यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने तरक्की की कई इबारत लिखी है. इसने शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, आर्थिक विकास के साथ-साथ तकनीक में प्रगति की है. लेकिन भारत को अपनी युवा शक्ति का फायदा उठाने के लिए नौकरियों और काम के अवसर बढ़ाने होंगे और महिलाओं को बराबर के मौके देने होंगे. दुनिया में औसतन 106 लड़कों पर 100 लड़कियां पैदा होती हैं, लेकिन 12 देशों में ये अंतर औसत से ज्यादा है, और इन्हीं देशों में भारत भी शामिल है.

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