Begum Aizaz Rasul: 26 जनवरी के मौके पर हम आपको संविधान सभा के सदस्यों में मौजूद इकलौती मुस्लिम महिला के बेगम ऐज़ाज़ के बारे में बताने जा रहे हैं. पढ़िए.
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Begum Aizaz Rasul: अब से कुछ दिन बाद हिंदुस्तान गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाएगा. यह एक राष्ट्रीय त्योहार है जो हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है. 26 जनवरी को ही साल 1950 में हिंदुस्तान का कानून लागू किया गया था. इस दिन की अहमियत का इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि 26 जनवरी साल के उन तीन दिनों में शुमार किया जाता है जो राष्ट्रीय अवकाश होते हैं. 26 जनवरी के अलावा 15 अगस्त और 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) शामिल हैं. इस खबर में हम आपको भारतीय संविधान सभा में शामिल होने वाली इकलौती महिला बेगम ऐज़ाज़ रसूल (Begum Aizaz Rasul) के बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या होती है संविधान सभा?
भारतीय संविधान सभा ब्रिटेन से आज़ादी मिलने के बाद बनने वाले भारतीय संविधान की रचना के लिए की गई थी. यह सभा साल 1938 में बनी थी. हालांकि सभा बनाने की मांग साल 1895 से चली आ रही थी. पहली बार बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में संविधान सभा बनाने की मांग की थी. इस सभा में कुल 389 सदस्य थे. हालांकि पाकिस्तान बनने के बाद कुल सदस्यों की तादाद 299 ही रह गई थी. इन कुल सदस्यों में 15 महिलाएं शामिल थीं. इन 15 महिलाओं में सिर्फ 1 मुस्लिम महिला थीं जिनका था बेगम एज़ाज़ रसूल (Begum Aizaz Rasul).
कौन थीं बेगम ऐज़ाज़ रसूल (Who is Begum Aizaz Rasul):
बेगम ऐज़ाज़ रसूल 2 अप्रैल 1909 को पैदा हुई थीं और 1 अगस्त 2001 को इस दुनिया से रुख्सत हो गई थीं. बेगम रसूल ने 92 बहारें देखीं थीं. उनका पूरा नाम बेगम क़दसिया ऐज़ाज़ रसूल था. बेगम एज़ाज़ रसूल सर जुल्फिकार अली खान और उनकी पत्नी महमूदा सुल्ताना की बेटी थीं. बेगम के पिता पंजाब में मलेरकोटला रियासत के शासक परिवार से सम्बन्धित थे. वहीं उनकी माँ, लोहारू के नवाब अलाउद्दीन अहमद खान की बेटी थीं. उनकी शादी नवाज नवाब ऐज़ाज़ रसूल से हुई थी, जो अवध के जमींदार थे.
राजनीतिक सफर (Political Career):
बेगम ऐज़ाज़ ने साल 1935 में सियासत में कदम रखा और मुस्लिम लीग के साथ जुड़ गईं. 2 साल बाद होने वाले चुनाव में उन्होंने गैर-आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंची. 1950 मुस्लिम लीग भंग होने के बाद बेगम रसूल ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी. इसके 1952 में वो उत्तर प्रदेश की शाहबाद विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की मेंबर भी बनीं. हालांकि 1954 में उन्हें दो सदन का सदस्य होने की वजह से राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा था. इस बीच बेगम ऐज़ाज़ साल 1969 से 1971 तक समाज कल्याण और अल्पसंख्यक मंत्री थीं.
खेलों में दिलचस्पी:
बेगम रसूल ने 20 वर्षों तक भारतीय महिला हॉकी महासंघ के अध्यक्ष के तौर पर भी अपनी खिदमत अंजाम दी हैं. इसके अलावा वो एशियाई महिला हॉकी महासंघ की अध्यक्ष भी रहीं. बेगम रसूल को भारतीय सरकार ने साल 2001 में उनके अहम योगदाल के लिए भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से भी सम्मानित किया था.
किताब और आत्मकथा:
बेगम रसूल साहित्य में भी दिलचस्पी रखती थीं. एक बार जब वो जापान गई थीं तो उन्होंने अपनी इस दौरे पर किताब भी लिखी थी. जिसका नाम "थ्री वीक्स इन जापान" (जापान में तीन सप्ताह) है. वहीं अगर उनकी आत्मकथा की बात करें तो उसका नाम 'फ्रॉम परदाह टू पार्लियामेंट: ए मुस्लिम वुमन इन इंडियन पॉलिटिक्स' है.
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