Bihar News: वोट न देने पर मार दी थी गोली; SC ने RJD के नेता को सुनाई उम्रकैद की सज़ा
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1850718

Bihar News: वोट न देने पर मार दी थी गोली; SC ने RJD के नेता को सुनाई उम्रकैद की सज़ा

Bihar News: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में RJD नेता प्रभुनाथ सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. आरजेडी नेता फिलहाल अशोक सिंह की हत्या के एक दूसरे मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.

Bihar News: वोट न देने पर मार दी थी गोली; SC ने RJD के नेता को सुनाई उम्रकैद की सज़ा

Bihar News: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में RJD नेता प्रभुनाथ सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने आरजेडी नेता पर हत्या की कोशिश करने के एक अलग मामले में 7 साल जेल की सजा सुनाई है.
मामले में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायधीश संजय किशन कौल, न्यायधीश अभय एस. ओका और न्यायधीश विक्रम नाथ की पीठ ने दोनों मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी हिदायत दी है. 
18 अगस्त को न्यायधीश एस.के. की एक विशेष पीठ ने , अभय एस. ओका और विक्रम नाथ ने पटना हाई कोर्ट के दिए गए बरी के फैसले को पलटते हुए मामले में पूर्व सांसद को मुजरिम ठहराया है. 
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायधीश कौल ने कहा, "जीवन या मौत की सजा, केवल दो विकल्प है".

डिफेंडेंस की तरफ से पेश सीनियर वकील आर. बसंत ने तर्क दिया कि बच्चन सिंह के मामले में यह कहा गया है कि सजा का गंभीर ऑप्शन तब चुना जाता है जब छोटा ऑप्शन निर्विवाद रूप से खत्म हो जाता है.

जस्टिस ओका ने  सीनियर वकील बसंत से पूछा, "क्या आप गंभीरता से सोचते हैं कि हम मृत्युदंड पर विचार कर रहे हैं?" 
सीनियर वकील ए.एम. सिंघवी ने तर्क दिया कि दो बरी होने के साथ, निर्दोष होने का अनुमान बढ़ गया है और मामले पर जायजा लंबित है.हालांकि, पीठ ने कहा कि जायजा पर फैसला बाद में चैंबर में लिया जाएगा.
जस्टिस कौल ने कहा, "बाकी भगवान पर निर्भर है, वह उसे जो भी देता है". वहीं जस्टिस विक्रम नाथ ने टिप्पणी की, "इस तरह का मामला पहले कभी नहीं देखा".

सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में बिहार के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में दोषी ठहराए जाने के बाद सजा पर सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से हाजिर होने की इजाजत दी थी.
जस्टिस  एस.के. की अध्यक्षता वाली पीठ कौल ने राजद नेता को सर्वोच्च अदालत के पहले के हुक्म के खिलाफ शारीरिक हाजिरी से छूट दे दी थी. जिसमें बिहार के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (पुलिस महानिदेशक) को  1 सितंबर को सर्वोच्च अदालत के सामने पेश करने के लिए कहा गया था. 

“अभियुक्त-प्रतिवादी नं. इस प्रकार 2 (प्रभुनाथ सिंह) को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या के लिए और घायल लालमुनि देवी (मृतक राजेंद्र राय की मां) की हत्या के कोशिश के लिए IPC की धारा 302 और 307 के तहत दोषी ठहराया जाता है".
सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह दिखाने के लिए काफी सबूत हैं कि सिंह ने 1995 में बिहार के छपरा में एक वोटिंग सेंटर के नजदीक राजेंद्र राय और दरोगा राय की हत्या कर दी थी. सबूतों की कमी की वजह से निचली अदालत ने उन्हें बरी किए जाने को बरकरार रखने के पटना हाई कोर्ट के हुक्म के खिलाफ मृतक के भाई ने 2012 में सर्वोच्च अदालत में अपील दायर की थी.

इस मामले में आजीवन कारावास का काट रहे हैं सजा 
प्राथमिकी के मुताबिक, "पूर्व सांसद ने 1995 के चुनाव में अपना वोट डालने के बाद वापस लौटते वक्त उन लोगों के एक ग्रुप पर अपनी राइफल से खुलेआम गोलीबारी की थी, जिन्होंने उन्हें चुनाव में वोट नहीं दिया था. आरजेडी नेता फिलहाल अशोक सिंह की हत्या के एक दूसरे मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं".

Trending news