वक्फ बिल की तरह UCC पर भी बैकफुट पर आएगी केंद्र सरकार; साथ छोड़ देंगे ये सहयोगी
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वक्फ बिल की तरह UCC पर भी बैकफुट पर आएगी केंद्र सरकार; साथ छोड़ देंगे ये सहयोगी

स्वतंत्रता दिवस पर समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने मौजूदा सिविल कोड को सांप्रदायिक नागरिक संहिता बताया है. मोदी के इस ब्यान से भाजपा को फायदा कम और नुक्सान ज्यादा उठाना पड़ सकता है. इससे केंद्र सरकार अपने तीन सहयोगी दलों JDU, TDP और LJP (चिराग पासवान) का इस मुद्दे पर समर्थन खो सकती है. 
 

वक्फ बिल की तरह UCC पर भी बैकफुट पर आएगी केंद्र सरकार; साथ छोड़ देंगे ये सहयोगी

 नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड संशोधन कानून की तरह केंद्र सरकार अब एक सामान नागरिक सहिंता (UCC) के मसले पर भी कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है. वक्फ बोर्ड संशोधन कानून में राज्यसभा में मुंह की खाने के बाद सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया है. ऐसी सम्भावना है कि JPC के बाद भी ये कानून पास नहीं होगा. अगर ये कानून पास भी होता है तो इसका स्वरूप वैसा बिलकुल नहीं होगा, जैसा केंद्र सरकार पास कराना चाह रही है. राज्यसभा में अल्पमत में होने और लोकसभा में सहयोगी दलों के भरोसे होने की वजह से अब इस कानून का हाल भी वक्फ संशोधन विधेयक जैसा हो सकता है.  

प्रधानमंती मोदी ने गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस पर देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा था,  "मौजूदा "सांप्रदायिक" नागरिक संहिता के स्थान पर "धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता" वक़्त की मांग है.  यूसीसी भाजपा का प्रमुख वैचारिक मुद्दा रहा है और पार्टी ने अपने घोषणापत्रों में भी इसे लाने का वादा किया है. 

लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर मोदी के इस भाषण पर देशभर में बवाल मच गया है. मोदी ने सीधे तौर पर देश के संविधानिक प्रावधानों को सांप्रदायिक करार दे दिया है. नागरिक संहिता को सांप्रदायिक कहना एक तरह से देश के संविधान को ही साम्प्रदायिक करार दे देने जैसा है. ऐसा कहकर मोदी ने देश के न सिर्फ संविधान बल्कि तमाम लोकतान्त्रिक संस्थाओं की बेईज्ज़ती की है. इससे विपक्ष पूरी तरह मोदी और सरकार पर हमलावर हो गया है. देश का बोद्धिक तबका भी मोदी के इस बयान से नाराज़ है. SC और ST वर्ग इसे आंबेडकर का अपमान बता रहा है. ऐसे में भाजपा के वैसे सहयोगी दलों के लिए भी यह ज़रूरी हो गया है कि वो मोदी के इस बयान से खुद को अलग कर ले नहीं तो आने वाले वक़्त में इस वर्ग से मिलने वाले वोटों पर साफ़ असर दिखाई देगा. 

भाजपा की सबसे बड़ी साझेदार तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने कहा कि सामान नागरिक सहिंता पर वह अपने रुख को अंतिम रूप देने से पहले विवरण सामने आने का इंतजार करेगी. 

वहीँ, भाजपा के दूसरे सबसे बड़े सहयोगी जदयू ने कहा है कि धार्मिक समूहों और राज्यों सहित सभी हितधारकों से बात करके आम सहमति बनाने के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए. नितीश कुमार ने कहा था, "विभिन्न धार्मिक समूहों, खासकर अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना यूसीसी लागू करने की कोई भी कोशिश, सामाजिक घर्षण पैदा कर सकता है, और धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी में कमी कर सकता है." 

पार्टी की एक अन्य सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी इस मामले में अलग स्टैंड रखते हैं. इसके अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में मुल्कभर में सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं पर प्रकाश डालते हुए हैरत जताया है कि सभी को एक छतरी के नीचे कैसे लाया जा सकता है?  पिछले महीने उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी कोई रुख अपनाने से पहले यूसीसी पर मसौदे का इंतजार करेगी.

ऐसे में भाजपा सरकार का समान नागरिक सहिंता पर कानून लाने का वादा अधूरा रह जाएगा.. 

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