बिहार में आत्मनिर्भर हुई भाजपा! देखिए 2015 और इस साल के नतीजों में कितना है फर्क
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बिहार में आत्मनिर्भर हुई भाजपा! देखिए 2015 और इस साल के नतीजों में कितना है फर्क

बिहार असेंबली चुनावों में NDA ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं महागठबंधन ने भी 110 सीटों कब्ज़ा किया है. इनके अलावा एक एलजेपी और 7 आज़ाद उम्मीदवार भी फतह का परचम लहराने में कामयाब रहे.

बिहार में आत्मनिर्भर हुई भाजपा! देखिए 2015 और इस साल के नतीजों में कितना है फर्क

नई दिल्ली: बिहार असेंबली चुनावों में NDA ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं महागठबंधन ने भी 110 सीटों कब्ज़ा किया है. इनके अलावा एक एलजेपी और 7 आज़ाद उम्मीदवार भी फतह का परचम लहराने में कामयाब रहे. अलग-अलग पार्टियों की बात करें तो NDA में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नीतीश कुमार की जेडीयू से भी ज्यादा सीटें हासिल की हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि नीतीश को  NDA का अहम चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने वाली भाजपा बिहार में अब आत्मनिर्भर (खुदमुख्तार) हो गई है.

NDA में  सबसे से ज्यादा भाजपा को 74 और जेडीयू 43, वीआईपी और हम 4-4 को सीटें पर आगे चल रही हैं. इसके अलावा महागठबंधन की बात करें तो आरजेडी ने NDA और महागठबंधन की सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा 75 सीटें हासिल की हैं. इसके अलावा महागठबंधन की दूसरी अहम पार्टी कांग्रेस 19 और लेफ्ट 18 सीटें जीती हैं. 

पिछले चुनावों पर एक नज़र डालें तो जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल समेत कई पार्टियों ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. वहीं भाजपा ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के साथ चुनावी मैदान में क़दम रखा था.

इन चुनावों में लालू प्रसाद यादव की कयादत वाली पार्टी आरजेडी और नीतीश कुमार की जीडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़े थे. वहीं 41 पर कांग्रेस और भाजपा ने 157 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. 

चुनाव नतीजों की बात करें तो उस वक्त भी सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी बनकर उभरी थी. आरजेडी 80, जेडीयू 71, कांग्रेस 27 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी. वहीं 157 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को महज़ 53 सीटों पर ही जीत मिली थी. 

इन चुनावों में महागठबंधन ने मिलकर सरकार बनाई थी. जिसके सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम आरजेडी नेता व लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव बने थे. हालांकि साल 2017 में जेडीयू महागठबंधन से अलग हो गई और नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर सकार बना ली थी. 

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इन चुनावों में सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है. क्योंकि साल 2015 में जहां 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद भाजपा को महज़ 53 सीटें ही हासिल हुई थीं और इस बार महज़ 111 सीटों पर उम्मीदवार थे. जिसमें से अभी तक 73 पर उसके उम्मीदवार या तो जीत चुके हैं या बढ़त बनाए हुए हैं. 

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