कश्मीर में काले जीरे की खेती के लिए किसानों को किया जा रहा बेदार, जानिए क्या हैं इसके फायदे
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कश्मीर में काले जीरे की खेती के लिए किसानों को किया जा रहा बेदार, जानिए क्या हैं इसके फायदे

शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नॉलोजी में रिसर्च के बाद किसानों को नई तरह की फसल और खेती के लिए बेदार किया जाता है ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें.

कश्मीर में काले जीरे की खेती के लिए किसानों को किया जा रहा बेदार, जानिए क्या हैं इसके फायदे

श्रीनगर: कश्मीर में काले जीरे की खेती को फरोग देने के लिए सरकार ने कई ज़रूरी कदम उठाये हैं. जम्मू-कश्मीर में इसके लिए रिसर्च सेंटर भी कायम किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को काले जीरा की खेती के लिए बेदार किया जा सके. काले जीरे को आमतौर पर शाही जीरे के नाम से भी जाना जाता है. कश्मीर के कुछ ही हिस्सों में इसकी खेती होती है. जम्मू-कश्मीर के पंपोर में कायम किया गया रिसर्च सेंटर उन्हीं कोशिशों का हिस्सा है.

शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नॉलोजी में रिसर्च के बाद किसानों को नई तरह की फसल और खेती के लिए बेदार किया जाता है ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें. किसान यहां फसल तो तैयार करते ही है साथ ही सीड्स भी तैयार करते हैं और उसे दूसरे बाजारों में बेचकर अच्छा खासा पैसा कमाते हैं.

मकामी किसान फैसल शाह की मानें तो काले जीरे के एक सीड की कीमत 5 से 7 रुपये है अगर एक कनाल खेत में इसे तैयार किया जाये तो तकरीबन लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.

किसान गुलाम नबी बताते हैं कि पहले काला जीरा सिर्फ गुरेज में ही लगाया जाता था लेकिन इसे अब पंपोर में भी उगाया जा रहा है. नबी ने कहा काला जीरा सबसे बढिया मसाला है, रिसर्च सेंटर की मदद से किसान इसके बीज पंपोर में भी हासिल कर पा रहे हैं और इसकी खेती सीख रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर इसकी खेती अच्छे से की गई तो आमदनी के साधन भी बढेंगे और रोजगार भी.

जानकारी के मुताबिक काला जीरा या शाही जीरे की खेती पहले नहीं होती थी बल्कि जम्मू-कश्मीर के ऊपरी इलाकों में यह खुद ही पैदा होता था लेकिन इसके फायदों की वजह से बाज़ार में इसकी डिमांड बढ़ती गई और मास लेवल पर इसकी खेती कराने का मनसूबा तैयार किया गया.
बाज़ार में काले जीरे की डिमांड ज्यादा है अगर किसान इसकी खेती से जुड़ी बेसिक जानकारियां हासिल कर उसे अमल में लाना शुरु करें तो इससे कई गुना ज्यादा फायदा कमाया जा सकता है.

एडवांस रिसर्च सेंटर के एचओडी डॉ बशीर अहमद इलाही ने तो यहां तक कहा कि इससे किसानों को केसर की खेती से भी ज्यादा फायदा हो सकता है. काला जीरा या शाही जीरा तिब्बी खुसूसियात से भरा हुआ है. इसके इस्तेमाल से इम्यूनिटी बेहतर होती है. इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ साथ यह काफी एनर्जेटिक होता है. इससे थकान और कमजोरी महसूस नहीं होती. यही वजह है कि आज कल इसकी मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में किसानों के पास अपनी आमदनी बढ़ाने का अच्छा मौका है.

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