UP News: जहां कब्रिस्तान जाने में लोगों को डर लगता है वहीं आगरा में एक ऐसा कब्रिस्तान है जहां पर स्कूल खुला है. कब्रिस्तान में मौजूद स्कूल में बच्चे पढ़ने जाते हैं और अपना भविष्य संवार रहे हैं.
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सय्यद शकील/आगरा: उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में शाही पचकुइयां कब्रिस्तान है. इस कब्रिस्तान को एशिया के बड़े कब्रिस्तानों में से एक माना जाता है. इस कब्रिस्तान में एक स्कूल भी संचालित है. जिसमें आसपास की बस्तियों के साथ ही यूपी व अन्य प्रदेशों से रोजगार की तलाश में आगरा आए परिवारों के गरीब बच्चों को तालीम मिल रही है. ये तालीमी इदारा गरीब, घुमंतू बच्चों को तालीमयाफता बनाने में लगा है. जिससे ये भीख न मांगें और अपने पैरों पर खड़े होकर इज्जत से जिंदगी गुजार सकें. इसके लिए कब्रिस्तान कमेटी के साथ तमाम लोग निजी तौर पर बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद करते रहते हैं.
कब्रिस्तान का नाम सुनकर ही लोगों के चेहरों पर सिकन डर पसीना आ जाता है. लेकिन आगरा के इस पचकुइयां कब्रिस्तान में बच्चे रहते ही नहीं बल्कि तालीम भी हासिल करते हैं. पढ़ने के बाद सारे बच्चे कब्रों के बीच में खेलते रहते हैं. जब बच्चों से पूछा गया कि उन्हें कब्रों के बीच रहने खाने पीने से डर नहीं लगता? तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें डर नहीं लगता और वह काफी समय से यहां आकर पढ़ाई कर रहे हैं. और पढ़ कर अच्छे इंसान बनना चाहते हैं.
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कब्रिस्तान में मौजूद स्कूल जिसे दर्सगाह-ए-इस्लामी जूनियर हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है में कोरोना की वजह से बच्चों की संख्या काफी कम रह गई है. यह फिलहाल करीब 75 बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं. इस पूरे स्कूल का खर्चा कब्रिस्तान कमेटी और लोगों की मदद से चलाया जाता है. इस स्कूल में गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसमें कब्रिस्तान में रहने वाले घुमंतू बच्चे, नाई की मंडी, मंटोला, शाहगंज तक से बच्चे आते हैं. इसमें सभी सरकारी किताबें चलती हैं. शाही पंचकुइयां कब्रिस्तान कमेटी के अनुसार यह स्कूल पिछले 45 सालों से लगातार चल रहा है. स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे बेखौफ होकर अपनी जिंदगी संवारने के लिए तालीम हासिल कर रहे हैं.
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