"पति पर जुल्म करने जैसा है, बीवी का बार-बार ससुराल से जाना; पति दे सकता है तलाक"
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"पति पर जुल्म करने जैसा है, बीवी का बार-बार ससुराल से जाना; पति दे सकता है तलाक"

Wife Leaving Husband House Repeatedly: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक फैसले में जोड़े को तलाक की मंजूरी देते हुए कहा कि एक महिला द्वारा पति की गलती के बिना भी बार-बार सुसराल का घर छोड़ना क्रूरता के समान है, जो तलाक का आधार है.

 

"पति पर जुल्म करने जैसा है, बीवी का बार-बार ससुराल से जाना; पति दे सकता है तलाक"

Delhi High Court: शौहर की गलती न होने के बावजूद भी बार-बार बीवी का ससुराल छोड़ कर जाना क्रूरता के दायरे में आता है. इस बुनियाद पर पति की तलाक को मंजूर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी का रिश्ता आपसी तालमेल, समर्पण की बुनियाद पर टिका होता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि, शौहर की किसी गलती के बिना बीवी का बार-बार अपने ससुराल का घर छोड़कर चले जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि, शादीशुदा रिश्ते आपसी तालमेल, समर्थन, समर्पण और निष्ठा के माहौल में फलते-फूलते है. दूरी और परित्याग इस जुड़ाव को तोड़ता है. 

अदालत का यह तब्सिरा एक-दूसरे से अलग रह रहे एक जोड़े को पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग की बुनियाद पर तलाक प्रदान करते हुए आई. महिला के पति ने तलाक की अपील करते हुए इल्जाम लगाया था कि उसकी पत्नी का गुस्सेनाक रवैया और अशांत स्वभाव है और वह कम से कम 7 बार उसे छोड़कर चली गई. तलाक प्रदान करने से एक परिवार अदालत के इनकार करने को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार करते हुए बेंच ने जिक्र किया कि, 19 साल की मुद्दत के दौरान 7 बार वह अलग हुई, और प्रत्येक की अवधि तीन से 10 महीने की थी. बेंच में चीफ नीना बंसल कृष्णा भी शामिल हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे वक्त तक अलग-अलग रहने से शादीशुदा रिश्तों को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है, जो मानसिक क्रूरता है और वैवाहिक संबंधों से वंचित करना अत्यधिक क्रूरता का कृत्य है. 

अदालत ने कहा, यह एक साफ मामला है जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने वक्त वक्त पर, अपीलकर्ता की किसी गलती के बिना, ससुराल का घर छोड़ दिया. समय-समय पर प्रतिवादी का इस तरह से जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है, जिसका अपीलकर्ता (पति) को बगैर वजह या बिना किसी औचित्य के सामना करना पड़ा. बेंच ने कहा, यह अपीलकर्ता को जहनी तौर पर परेशान करने का मामला है. जिससे वह तलाक पाने का हकदार है.

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