नेशनल हाइवे हो या रियासती हुकूमतों की सड़कें, हर जगह ऐसे पत्थर लगे होते हैं. इस पट्टी पर उस खास जगह की दूरी भी दर्ज होती है जो हमें बताते हैं कि हमारी मंजिल यहां से अभी कितनी दूर है.
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नई दिल्लीः सड़क के रास्ते सफर करते हुए आपकी निगाह कभी उन मील के पत्थरों पर जरूर पड़ी होगी, जो मुसाफिरों को उनकी मंजिल का पता बताते हैं. नेशनल हाइवे हो या रियासती हुकूमतों की सड़कें, हर जगह ऐसे पत्थर लगे होते हैं. इन पर दोनों तरफ से किसी रास्ते को जोड़ने वाले दो जगहों या उसके बीच में पड़ने वाले खास शहरों और गांवों के नाम दर्ज होते हैं. इस पट्टी पर उस खास जगह की दूरी भी दर्ज होती है. यह हमें बताता है कि हमारी मंजिल यहां से अभी कितनी दूर है. इन पत्थरों में अक्सर दो रंग आपको देखने को मिले होंगे। यह पीला-सफेद, हरा-सफेद, काला-सफेद व केसरिया-सफेद रंग का होता है। इसके अलग-अलग रंगों में भी एक संदेश छिपा है जिसे मुसाफिरों को समझना जरूरी है.
पीले रंग की पट्टी
अगर सड़क के रास्ते से सफर करते वक्त किनारे पर ऐसा पत्थर दिखे जिसका नीचे का हिस्सा सफेद और ऊपरी हिस्सा पीले रंग का हो तो समझ जाइए कि आप नेशनल हाईवे या राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर कर रहे हैं। ये सड़कें अक्सर दो या उससे ज्यादा रियासतों को आपस में जोड़ती है.
हरे रंग की पट्टी
जब आपको सड़क पर हरे रंग का मील का पत्थर दिखाई दे तो समझ जाइए कि आप नेशनल हाइवे पर नहीं बल्कि किसी रियासत के स्टेट हाईवे पर सफर कर रहे हैं. ये एक ही राज्य के दो शहरों और जिलों वगैरह को आपस में जोड़ते हैं.
नीला या सफेद रंग की पट्टी
जब आपको सड़क पर काले, नीले या सफेद रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन दिखाई दे तो समझ जाइए कि आप किसी बड़े शहर या जिले में आ गए हैं। हिन्दुस्तान में इस तरह की सड़कों का नेटवर्क तकरीबन 5 लाख 61 हजार 940 किमी का है. इसमें मुसलसल इजाफा भी होता रहता है.
मील के पत्थर पर नारंगी रंग की पट्टी
जब आपको सड़क के किनारे नारंगी रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन या मील का पत्थर दिखता है तो समझ जाइए कि आप किसी गांव या फिर गांव की सड़क पर हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, जवाहर रोजगार योजना, मनरेगा योजना के तहत बनने वाली सभी सड़के इसी श्रेणी की हाती है. मुल्क में इस वक्त 10 लाख किमी के आसपास ऐसी सड़कों का जाल बिछा है.
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