देश के पहले मुस्लिम IAF चीफ के पास था PAK जाने का मौका, भारतीय वायुसेना का किया कायाकल्प
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देश के पहले मुस्लिम IAF चीफ के पास था PAK जाने का मौका, भारतीय वायुसेना का किया कायाकल्प

जब भी हम एयरफोर्स (Air Force) की तारीख की बात करेंगे तो इदरीस हसन लतीफ (Idris Hasan Latif) का नाम जरूर लिया जाएगा. क्योंकि उन्होंने एयरफोर्स (Air Force) के लिए कई अहम ओहदों पर काम किया है. इदरीस लतीफ ने 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद नई दिल्ली में भारत के पहले फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व किया था. द्वितीय विश्व युद्ध के एक अनुभवी एयर चीफ लतीफ ने जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट की खरीद में भी अहम किरदार अदा किया था. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: आज भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Airforce Day) है. इस मौके पर हम आपको एक भारत के पहले मुस्लिम वायुसेना चीफ के बारे में बताने जा रहा है. भारत के पहले वायुसेना चीफ यानी इदरीस हसन लतीफ (Idris Hasan Latif) का जन्म साल 1923 को हैदराबाद में हुआ था और 1 मई 2018 को वो इस दुनिया से रुख्सत हो गए. इदरीस 18 साल की उम्र में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में भर्ती हुए थे और 1981 में रिटायर हो गए थे.

IAF के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है इदरीस लतीफ का नाम
जब भी हम एयरफोर्स की तारीख की बात करेंगे तो इदरीस लतीफ का नाम जरूर लिया जाएगा. क्योंकि उन्होंने एयरफोर्स के लिए कई अहम ओहदों पर काम किया है. इदरीस लतीफ ने 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद नई दिल्ली में भारत के पहले फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व किया था. द्वितीय विश्व युद्ध के एक अनुभवी एयर चीफ लतीफ ने जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट की खरीद में भी अहम किरदार अदा किया था. लतीफ की आधिकारिक प्रोफाइल के मुताबिक उस वक़्त की सरकार को लतीफ़ ने ही जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट की खरीद को मंजूरी देने के लिए राज़ी किया था. 

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पाकिस्तान एयरफोर्स में शामिल होने का मिला था मौका
इदरीस को लेकर एक यह वाकिया भी काफी मशहूर है कि उनके पाकिस्तानी एयरफोर्स में मौजूद कमांडिंग ऑफिसर स्क्वाड्रन लीडर असग़र ख़ान और एक तेज़तर्रार पायलट लेफ्टिनेंट नूर ख़ान के अच्छे दोस्त थे. एयर चीफ मार्शल लतीफ़ ने अपने आधिकारिक प्रोफाइल में लिखा है "जब विभाजन ने इसके साथ सशस्त्र बलों का विभाजन खरीदा, तो एक मुस्लिम अधिकारी के रूप में लतीफ को भारत या पाकिस्तान दोनों में शामिल होने के विकल्प का सामना करना पड़ा. जिसे लेकर इदरीस बहुत स्पष्ट थे कि उनका भविष्य भारत के साथ है. भले ही उनके दोनों अच्छे दोस्त असग़र और नूर ख़ान भारत को छोड़कर पाकिस्तान वायु सेना में शामिल हो गए थे लेकिन लतीफ ने भारत को छोड़ने से इनकार कर दिया था. इतना नहीं इदरीस का कहना था कि उनके लिए, मज़हब और देश आपस में जुड़े नहीं हैं. 

IAF की कई अहम योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया
IAF के पहले मुस्लिम वायु सेना प्रमुख के रूप में लतीफ वायु सेना के उपकरण और आधुनिकीकरण योजनाओं में पूरी तरह से शामिल थे. उस वक़्त की सरकार को लतीफ़ ने ही जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट की खरीद को मंजूरी देने के लिए राजी किया था. जगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट एक ऐसा प्रस्ताव था जो 8 साल से ज्यादा वक्त से पेंडिंग पड़ा हुआ था. उन्होंने IAF चीफ़ के तौर पर मिग-23 और मिग-25 विमान के लिए रूसी सेनाओं से बातचीत की. जिसके बाद में मिग-23 और , मिग -25 विमान को इंडयिन एयरफ़ोर्स (IAF)में शामिल किया. 1981 में अपने रिटायरमेंट के बाद लतीफ ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और फ्रांस में भारतीय राजदूत के पदों पर काम किया.

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