भ्रष्टाचार के आरोप में आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम गिरफ्तार, क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जानें पूरी डिटेल
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भ्रष्टाचार के आरोप में आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम गिरफ्तार, क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जानें पूरी डिटेल

Chandrababu Naidu Arrested: तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू को करोड़ों रुपये के घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है. पूर्व सीएम की गिरफ्तारी नांदयाल रेंज के डीआइजी रघुरामी रेड्डी और अपराध जांच विभाग ( CID ) ने की है. 

भ्रष्टाचार के आरोप में आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम गिरफ्तार, क्या है करोड़ों रुपये का कौशल विकास घोटाला? जानें पूरी डिटेल

Andhra Pradesh: तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू को करोड़ों रुपये के घोटाले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद कई टीडीपी नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया है.पूर्व सीएम की गिरफ्तारी नांदयाल रेंज के डीआइजी रघुरामी रेड्डी और अपराध जांच विभाग ( CID) ने की. टीडीपी नेता पर स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन घोटाले का केस चल रहा है. पूर्व सीएम की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर पुलिस का विरोध किया. 

एपी राज्य कौशल विकास निगम घोटाला क्या है?
आंध्र प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने तेलुगु देशम पार्टी शासन के दौरान एपीएसएसडीसी ( Andhra Pradesh State Skill Development Corporation ) में ₹300 करोड़ के कथित घोटाले की जांच शुरू की. यह जांच भारतीय रेलवे यातायात सेवा ( IRTS) के रिटायर्ड अफसर अर्जा श्रीकांत को जारी किए गए नोटिस के बाद हुई है. रिटायर्ड अफसर  2016 में एपीएसएसडीसी के सीईओ थे. वो एक आरोपी से सरकारी गवाह बने, जो तीन आईएएस अफसरों के बयान पर आधारित था.

2016 में, टीडीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान, बेरोजगार युवाओं को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके सशक्त बनाने के उद्देश्य से एपीएसएसडीसी की स्थापना की गई थी.

हिन्दुस्तान टाईम्स के मुताबिक, सीआईडी ​​की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ.

टीडीपी सरकार ने ₹3,300 करोड़ की एक परियोजना के लिए एक समझौता  (एमओयू) पर सिग्नेचर किए. इस एमओयू में सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिज़ाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक संघ शामिल था. सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया को कौशल विकास के लिए छह सेंटर ऑफ एक्सलेंस केंद्र बनाने का काम सौंपा गया था. राज्य सरकार को कुल परियोजना लागत का लगभग 10 फीसद देना था. जबकि सीमेंस और डिज़ाइन टेक बचे हुए रकम का अनुदान सहायता के रूप में प्रदान करेंगे.

जांच में कई अनियमितताएं उजागर हुई
1. निविदा प्रक्रिया का अभाव ( Lack of tender process): प्रोजेक्ट मानक निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना शुरू की गई थी.

2. कैबिनेट की मंजूरी को दरकिनार ( Bypassing Cabinet approval): राज्य कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी नहीं दी.

3. धन का दुरुपयोग ( Misappropriation of funds): सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया कथित तौर पर प्रोजेक्ट में अपने खुद के किसी भी संसाधन का निवेश करने में विफल रही और इसके बजाय राज्य द्वारा एलॅाटेड ₹371 करोड़ का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न शेल कंपनियों को भेज दिया गया.

4. शेल कंपनियां ( Shell companies): प्रोजेक्ट के लिए डिजायर्ड अमाउंट शेल कंपनियों में दी गई थी, जिनमें एलाइड कंप्यूटर्स, स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स शामिल थीं.

सीमेंस ग्लोबल कॉरपोरेट ऑफिस ने प्रोजेक्ट की अंदरूनी तहकीकात शुरू की, और इस तहकीकात में पाया कि प्रोजेक्ट मैनेजर ने हवाला लेनदेन के रूप में शेल कंपनियों को सरकार द्वारा दी गई रकम का दुरुपयोग किया था. जिसके बाद प्रोजेक्ट मैनेजर को बर्खास्त कर दिया गया.

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