मोरबी हैंगिंग ब्रिज: 'हादसा नहीं क़त्ल है 143 लोगों की मौत', उठ रहे हैं ये सवाल
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मोरबी हैंगिंग ब्रिज: 'हादसा नहीं क़त्ल है 143 लोगों की मौत', उठ रहे हैं ये सवाल

Morbi Bridge Collapse: गुजरात में पेश आए ब्रिज हादसे के बाद सियासत भी गरमा गई है. इसके अलावा अवाम भी तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं. इस ख़बर में हम आपको हादसे पर उठने वाले सवालों के साथ-साथ पूरी डिटेल भी बताने जा रहे हैं. पढ़िए

मोरबी हैंगिंग ब्रिज: 'हादसा नहीं क़त्ल है 143 लोगों की मौत', उठ रहे हैं ये सवाल

मोरबी में जो हुआ, उसे सिर्फ हादसा नहीं कहा जा सकता. यह सरासर लापरवाही है जिसकी वजह से सैकड़ों जिंदगियां मौत के दरिया में समा गईं. इस हादसे के बाद ना सिर्फ मरने वालों के परिवार की चीख-व-पुकार सुनने को मिल रही है बल्कि कई अहम और ज़रूरी सवाल भी उठ रहे हैं. अब तक 134 लोग इस हादसे में जान गंवा चुके हैं. पुलिस भी अपनी कार्रवाई कर रही है और पूल मैनेजर, मेंटेनेंस करने वाले समेत 9 लोगों को हिरासत में लिया गया है. 

मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ा का ख़र्च
शुरूआती जानकारी के मुताबिक़ पुल मरम्मत के लिए सात महीने तक बंद था और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये फूंकने के बाद, गुजराती नववर्ष के दिन यानी 26 अक्टूबर को इसे खोला गया. मरम्मत के बाद खोले जाने के पांचवें दिन ही पुल अपने साथ सैकड़ों लोगों को लेकर मच्छु नदी में समा गया. ऐसे में ये सवाल उठना ज़रूरी है कि क्या इस हादसे को जान-बूझकर न्यौता दिया गया था? सवाल यह भी कि आख़िर लापरवाही कहां हुई?  क्या पुल की मरम्मत में लापरवाही बरती गई ? क्या आधी-अधूरी मरम्मत के बाद ही हड़बड़ी में पुल को खोल दिया गया? क्या पुल को दोबारा खोलने से पहले ज़रूरी जांच और टेस्ट किए गए थे? नगरपालिका ने फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया तो पुल कैसे खुल गया? इतनी भारी तादाद में लोग मोरबी के झूलते पुल पर कैसे पहुंच गए?  और क्या भीड़ को कंट्रोल करने में लोकल मैनेजमेंट नाकाम रहा?

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हादसे के कई वीडियो वायरल
हादसे के पहले और बाद के कई वीडियो सामने आए हैं.  हादसे से ठीक पहले का जो वीडियो सामने आया है वह भी इस तरफ़ इशारा कर रहा है कि काफी लापरवाही बरती गई थी.  इस हैंगिग ब्रिज में घूमने-टहलने के लिए टिकट लगता है. बड़ों के लिए 17 रुपए और बच्चों के लिए 12 रुपए का टिकट लिया जाता है और जिस तरह की भीड़ इस पुल पर दिख रही है, उससे साफ है कि काफी तादाद में टिकट बेचे गए. टिकट बेचते वक़्त इस बात का ख़्याल भी नहीं रखा गया कि इतनी काफी तादाद में लोग पुल पर घूमेंगे-फिरेंगे तो अनहोनी भी हो सकती है.  400 से 500 लोग अचानक पुल पर पहुंच गए, किसी ने न रोका, न टोका और अंजाम ये हुआ कि पुल धाराशायी होकर नदी में गिर गया.

आपको बता दें कि गुजरात में इन दिनों छुट्टियां होती हैं. दीपावली के बाद से ही लोग घूमने निकलते हैं. एक तो त्योहारी सीजन और उस पर से रविवार होने की वजह से लोग यहां भारी तादाद में पहुंचे थे. चश्मदीदों का भी मानना है कि ज्यादा लोड होने की वजह से पुल गिर गया.

हादसे की जांच के लिए एसआईटी गठित
लापरवाही चाहे जहां से हुई हो हादसा लापरवाही का नतीजा है और यह गुजरात सरकार को भी पता है. यही वजह है कि पुल का मैनेजमेंट करने वाली एजेंसी पर ग़ैर-इरादतन क़त्ल समेत दूसरी धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है. सरकार का यह भी कहना है कि हादसे की जांच क्रिमिनल एंगल से तो होगी ही, साथ ही ब्रिज की क्षमता की भी जांच होगी. गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने मोरबी हादसे को लेकर 5 सदस्यों की एसआईटी का भी गठन किया है जिसमें आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर से लेकर दूसरे कई लोग शामिल हैं. जांच कमेटी की रिपोर्ट आती रहेगी लेकिन एक लापरवाही ने न जाने कितने परिवारों को ज़िंदगी भर का ग़म और सदमा दे दिया.

कल मोरबी जाएंगे पीएम मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ऐलान किया है कि पीएम मोदी मंगलवार दोपहर को मोरबी का दौरा करेंगे. गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 300 किलोमीटर दूर मोरबी में बचाव मुहिम जोरशोर से चल रही है. उन्होंने एक भावुक पैगाम में कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के कलाकारों को केवडिया में रिवायती डांस (पारंपरिक नृत्य) की प्रस्तुति देनी थी लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इसे रद्द कर दिया गया है.

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PMNRF और राज्य सरकार की तरफ से राहत
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (PMNRF) से मरने वालों के परिवार वालों को 2-2 लाख रुपये और जख्मियों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने मरने वालों के परिवार को चार-चार लाख रुपये और जख्मियों को पचास-पचास हजार रुपये का मुआवजा दिए जाने का ऐलान किया है.

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खड़गे ने पूछे सवाल
इस हादसे पर अपोजिशन भी सरकार पर हमलावर हो रही है. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस हादसे पर दुख का इज़हार करते हुए कहा है कि हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जस्टिस के नेतृत्व में जांच होनी चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि क्या वजह है कि मरम्मत के बाद खोले जाने के कुछ दिनों बाद ही यह पुल टूट गया? खड़गे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता बचाव काम में सहयोग कर रहे हैं, इस हादसे की जांच होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा, "हम इस वक्त सियासत नहीं करना चाहते, किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहते है. जांच की रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय होगी."

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"गुजरात में भ्रष्टाचार की मिसाल है हादसा"
पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहासिस चक्रवर्ती के मुताबिक यह हादसा गुजरात में करप्शन की एक मिसाल है. उन्होंने कहा, "जब भी पश्चिम बंगाल में कुछ भी होता है, भाजपा की केंद्रीय तथ्य खोजने वाली टीम राज्य का दौरा करती है. अब मैं यहां राज्य के भाजपा नेताओं से सवाल करना चाहूंगा कि क्या वे अब इसी तरह की टीम गुजरात भेजेंगे. वे हमेशा पश्चिम बंगाल में गलती खोजने वाले मिशन में रहते हैं. उनका एक ही मकसद होता है कि बंगाल में राज्य प्रशासन को परेशान करना है. मेरी उन्हें सलाह है कि पहले गुजरात में चीजों पर कंट्रोल में रखें और फिर पश्चिम बंगाल के बारे में सोचें."

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1880 में तैयार हुआ था पुल 
बता दें कि इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था. उस वक्त यह पुल लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर 1880 में तैयार हुआ था. यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था और इसमें लगने वाले कलपुर्जे इंगलैंड से मंगवाए गए थे. हाल ही में इसकी मरम्मत की गई थी, जिसपर लगभग 2 करोड़ की लागत आई थी. 

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इसी माह टूट चुका है एक और हैंगिंग पुल 
इससे पहले 14 अक्टूबर को दक्षिण गोवा में दूधसागर जलप्रपात से 40 से ज्यादा पर्यटकों को बचाया गया था, क्योंकि भारी बारिश की वजह से यहां का एक केबल पुल टूट गया था. यह घटना 14 अक्टूबर की शाम को गोवा-कर्नाटक सीमा पर भारी बारिश के कारण हुई थी.

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