हैंगिंग ब्रिज पर छुट्टियां मनाने आए थे बच्चे; जिंदगी भर के लिए पहाड़-सा गम ले गए अपने साथ !
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हैंगिंग ब्रिज पर छुट्टियां मनाने आए थे बच्चे; जिंदगी भर के लिए पहाड़-सा गम ले गए अपने साथ !

Gujrat Morbi Hanging Bridge Accident: गुजरात के मोरबी में हुए केबल ब्रिज हादसे में किसी का पूरा परिवार खत्म हो गया तो किसी के परिवार से एक-दो लोग ही जिंदा बच गए हैं. वहां हादसे में जिंदा बचे चश्मदीदों ने जो हाल सुनाया है, उसे सुनकर किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा. 

झूलता पुल हादसा

मोरबीः दिवाली की छुट्टियों का लुत्फ़ उठाने 10 साल का शिवम अपने घर वालों के साथ मोरबी के मशहूर पर्यटन स्थल 'झूलता पुल’ (हैंगिंग ब्रिज) पहुंचा था... वह पुल पर चढ़ने के रोमांच को महसूस ही कर रहा था कि पुल टूट कर धड़ाम से गिर गया और घूमने गए शिवम को अपने माता-पिता और भाई की लाश के साथ घर लौटना पड़ा.

इस हादसे में जान गंवाने वाले 143 लोगों में शिवम के घर वाले भी शामिल थे. हादसे के बाद शिवम ने हाथ से पुल के एक तार को पकड़ लिया था, जिससे उसकी जिंदगी बच गई, लेकिन उसने  अपने माता-पिता और बड़े भाई को हमेशा के लिए खो दिया. राजकोट का रहने वाला शिवम मोरबी में अपने नाना-नानी के घर आया था. 

पुल पर तफरीह के लिए आईं अमीना बानो के लिए भी यह मंजर ताउम्र भूल पाना शायद अब मुमकिन नहीं होगा. वह अपने 36 रिश्तेदारों के साथ पुल पर घूमने आई थीं, लेकिन इस हादसे ने उनमें से छह को उनसे हमेशा के लिए अलग कर दिया. 

राजकोट से लोकसभा सदस्य मोहन कुंदरिया ने बताया कि मोरबी कस्बे में पुल गिरने से उनके 12 रिश्तेदारों की जान चली गई. इस हादसे में बचे कई लोगों ने अपने परिवार के एक से ज्यादा सदस्यों को खो दिया है.

बानो ने कहा, “मैं अपने बच्चों समेत परिवार के 36 लोगों के साथ पुल पर घूमने गई थी. इस हादसे में मेरे चचेरे भाई और उसके बच्चों सहित मेरे परिवार के छह सदस्यों की मौत हो गई.” इस खौफनाक हादसे को याद करते हुए बानो ने कहा कि शुरुआत में कोई भी मदद के लिए नहीं आया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया. उन्होंने पूछा, “ प्रति व्यक्ति 17 रुपये टिकट शुल्क के तौर पर लिए गए थे. आखिर कंपनी ने पुल पर इतने लोगों को आने की इजाजत क्यों दी? कंपनी ने कहा कि उसने पुल के नवीकरण पर दो करोड़ रुपये खर्च किए हैं. क्या लोगों की जान की कीमत 17 रुपये है?”

गुजरात के मोरबी कस्बे के कई परिवार और उनके मेहमान इतवार की शाम को माचू नदी पर बने झूला पुल पर थे, जब वह गिर गया. ऐसा ही एक परिवार आरिफशा शमदार का है और इसके सात सदस्यों में से एक बच गया है, दो की मौत हो चुकी है और चार अभी भी लापता हैं, जिसके मरने की आंशका है. 
मोहन मदकिया ने बताया कि आरिफशा की पत्नी और बेटे की मौत हो गई, जबकि उनकी बेटी, बहन, बहन की बेटी और एक अन्य भतीजी अभी भी लापता हैं, और उनकी भाभी को कई फ्रैक्चर के साथ बचाया गया है. मदकिया ने कहा कि आरिफशा अपनी पत्नी और बेटे की लाशों को देखकर गहरे सदमे में था और सभी प्रार्थना कर रहे हैं कि लापता लोग किसी तरह बच गए हों.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में, कुछ लड़कों को पुल के गिरने से कुछ मिनट पहले पर्यटकों को डराने के लिए पुल के तारों को लात मारते और हिलाते हुए देखा गया है. पुल हादसे में बचे लोगों में से एक मेहुल रावल ने कहा कि जिस वक्त पुल के तार टूटे और वह नदी में गिरा उस वक्त उस पर कम से कम 300 लोग सवार थे. मोरबी के सरकारी अस्पताल में भर्ती रावल ने कहा, “जब हम पुल पर थे तभी वह टूट गया. सभी लोग नदी में गिर गए. पुल ढहने की मुख्य वजह वहां ज्यादा भीड़ का होना था.” 

मोहन कुंदरिया रूंधे गले से कहते हैं, ’’इस हादसे में उनके 12 रिश्तेदारों की मौत हो गई. वे इतवार को पिकनिक स्थल पर आए थे लेकिन हादसे में उन्हें छोड़ सभी मारे गए.” मोरबी के एक अन्य निवासी ने भी कहा, “पीड़ितों में ज्यादातर बच्चे थे जो दिवाली की छुटिट्यां मनाने आए थे. 

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