MP का गुना कांड जिसने कुख्यात तस्कर वीरप्पन की याद ताजा कर दी; ऐसे मरा था ख़तरनाक चंदन तस्कर
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MP का गुना कांड जिसने कुख्यात तस्कर वीरप्पन की याद ताजा कर दी; ऐसे मरा था ख़तरनाक चंदन तस्कर

Veerappan Played football with officer’s head: वीरप्पन पर 2000 से अधिक हाथियों और 184 लोगों को मारने का आरोप था. इनमें आधे से ज्यादा पुलिसकर्मी थे. इसमें सबसे मशहूर किस्सा वन अधिकारी पी श्रीनिवास का है.

MP का गुना कांड जिसने कुख्यात तस्कर वीरप्पन की याद ताजा कर दी; ऐसे मरा था ख़तरनाक चंदन तस्कर

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के गुना जिले में शनिवार तड़के शिकारियों की ओर से की गई गोलीबारी में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई जबकि दो हमलावर भी मारे गए. दरअसल गुना के आरोन इलाके के जगंल में शनिवार तड़के पुलिसकर्मी काले हिरण के शिकार के मामले में सर्चिंग करने गए थे. इसी दौरान शिकारियों ने छिपकर पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की. गुना में जिस अंदाज में फायरिंग करके तीन पुलिसकर्मियों में मौत के घाट उतार दिया गया, इस घाटना ने कुख्यात तस्कर वीरप्पन की याद दिला दी. 18 अक्टूबर, 2004 में एक पुलिस मुठभेड़ के दौरान वीरप्पन को हलाक कर दिया गया था. ये लंबे वक्त तक के लिए सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना हुआ था.

वीरप्पन पर 2000 से अधिक हाथियों और 184 लोगों को मारने का आरोप था. इनमें आधे से ज्यादा पुलिसकर्मी थे. इसमें सबसे मशहूर किस्सा वन अधिकारी पी श्रीनिवास का है.

वन अधिकारी पी श्रीनिवास ने वीरप्पन को पहली बार गिरफ्तार किया था, लेकिन वह ज्यादा देर श्रीनिवास की गिरफ्त में नहीं रह सका. बल्कि वह फरार हो गया. इसके बाद वीरप्पन ने श्रीनिवास से बदला देने की ठान ली. कहा जाता है कि उसने श्रीनिवास का सिर काट दिया. इसके बाद कटे सिर के साथ उसने अपने साथियों के साथ फुटबॉल खेला था.

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पी श्रीनिवास की गिरफ्त से कैसे फरार हुआ वीरप्पन 
वीरप्पन जब पी श्रीनिवास की गिरफ्त में था तो एक उनसे तेज सिरदर्द का बहाना कर तेल की मांग की. जब तेल दिया गया तो उसने सिर के बजाय हाथों में लगा लिया और हथकड़ी को बाहर निकालकर फरार हो गया.

वीरप्पन ने अपनी बच्ची तक को मार दिया
वीरप्पन ने इस कदर आतंक फैला रखी थी कि उसने अपनी बच्ची तक को नहीं बख्शा, बल्कि उसे मार दिया. दरअसल एक बार वीरप्पन उसके रोने की वजह से मुसीबत में फ़ंस चुका था. इसलिए उसने अपनी बच्ची की आवाज़ को हमेशा के लिए बंद करने का फ़ैसला किया. 1993 में कर्नाटक एसटीएफ़ को मारी माडुवू में एक समतल ज़मीन पर उठी ही जगह दिखाई दी थी. जब उसे खोद कर देखा गया तो उसके नीचे से एक नवजात बच्ची का शव मिला था.'

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कैसे वीरप्पन अंजाम को पहुंचा
बात 18 अक्टूबर, 2004 है, जब वीरप्पन अस्पताल ले जाया जा रहा था. इसकी भनक एसटीएफ को टीम मिल गई थी, बल्कि एसटीएफ ने वीरप्पन के लिए जाल बिछाया था, जिसमें वह फंस गया. एसटीएफ ने उसके रास्ते में बीच सड़क पर ट्रक खड़ा कर दिया। ट्रक में 22 जवान मौजूद थे. वीरप्पन का एंबुलेंस ट्रक के पास पहुंचा तो एसटीएफ ने उसे सरेंडर करने को कहा. जवाब में वीरप्पन के सहयोगियों ने एंबुलेंस के अंदर से ही फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद एसटीएफ  ने जवानों ने भी फायरिंग की और एक गोली वीरप्पन के सर पर लगी और घटना के मकाम पर ही उसकी मौत हो गई.

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