कुरआनी किस्सा: हमारी सीरीज 'कुरआनी किस्सा' ये दूसरा भाग है, जिसमें हम आपको सिलसिलेवार हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) की ज़िदंगी से जुड़े वाक्यात से रूबरू करा रहे हैं.
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Quranic anecdote: कुराने करीम में हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के वाक्ये को निहायत ही बेहर तरीके से बयान किया गया है, बल्कि कुरान ने उनके किस्से को सबसे अच्छा किस्सा 'अहसनुल केसस' बताया है. तो आइए जानते हैं हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम की कहानी का दूसरा भाग...
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भाइयों की साज़िश और कनान का कुंआ
हम पिछले भाग में बयान कर चुके हैं कि हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) ने ख्वाब में देखा कि कि ग्यारह सितारे और सूरज व चांद उनके सामने सज्दा कर रह है. इस ख्वाब का पता जब उनके भाइयों को चला तो हज़रत यूसुफ के प्रति उनके हसद में मज़ीद इज़ाफा हो गया और और भाइयों ने हजरत यूसुफ को जान से मारने तक का प्लान बना लिया.
युसूफ अलैहिस्सलाम कुंए के अंदर
यूसुफ अलैहि सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के भाई यूसुफ़ को सैर कराने के बहाने ले गए और मश्विरे के मुताबिक उसको एक ऐसे कुएं में डाल दिया, जिसमें पानी न था और मुद्दत से सूखा पड़ा था और वापसी में उसकी कमीज को किसी जानवर के खून में तर करके रोते हुए हजरत याकूब अलैहि सलाम के पास आए और कहने लगे, ‘ऐ बाप! अगरचे हम अपनी सच्चाई का कितना ही यकीन दिलाएं, मगर तुमको हरगिज़ यकीन न आएगा कि हम दौड़ में एक दूसरे से आगे निकलने में लगे हुए थे कि अचानक यूसुफ को भेड़िया उठाकर ले गया. ये अंदोहनाक खबर सुनकर हज़रत याकूब ने फरमाया बड़ा ही चालाक भेड़िया रहा होगा, जिसने युसूफ को मार दिया और कुर्ता भी नहीं फटा, कहकर वे रोने लगे, बेटे के गम में वे इतना रोए कि उनकी आंखों की बिनाई (रोशनी) भी चली गई.
युसूफ अलैहिस्सलाम को अल्लाह की मदद
इधर, रोज़ाना युसूफ अलैहिस्सलाम को रोज उनके सौतले भाई आकर देखते कि कहीं वो कुएं से बाहर तो नहीं आ गए, मगर कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था और अल्लाह ने एक काफिले वाले के ज़रिए हज़रत यूसुफ की जान बचाई. हज़रत इस कुएं में तीन दिनों तक रहे, तभी मिस्र की तरफ जाने वाला एक काफिला उधर से गुज़रा और उसमें से एक शख्स ने जब इस कुएं को देखा तो डोल डालकर पानी निकालना चाहा, इसी दौरान उस डोल की मदद से हज़रत यूसुफ (Hazrat Yusuf Alaihis salam) कुएं से बाहर आ गए.
भाई को ही फरोख्त कर दिया
जब हज़रत यूसुफ (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के कुएं के बाहर आने की खबर उनके भाइयों को मिली तो उन्होंने काफिले वालों को डराया, फिर कहा कि ये हमारा भागा हुआ गुलाम है और फिर उन्होंने हजरत यूसुफ को 20 दिरहम में उन काफिले वालों को बेच दिया.
(नोट: हम इस वाक्ये को सिलसिलेवार बयान कर रहे हैं. अब आगे की कहानी दूसरे भाग में बताई जाएगी. इस पूरे किस्से को बढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहें.)
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