Punjab News:किसी संसदीय व्यवस्था मे संसद या विधानसभा में सबसे ज्यादा सदस्यों वाले दल के द्वारा पूर्ण बहुमत जुटाकर बनाई गई सरकार को 'बहुमत की सरकार' कहते हैं.
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पंजाब: पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को बढ़त मिली है. इसके बाद आप के मुख्यमंत्री पद के दावेदार सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने पंजाब के राज्यपाल से मुलाकात की है. ऐसे में एक सवाल आपके मन में होगा कि किसी भी पार्टी को बहुमत मिलने के बाद सरकार बनाने की क्या प्रक्रिया है. तो हम आपको बताते हैं कि आखिर किसी भी पार्टी को बहुमत मिलने के बाद वह कैसे सरकार बनाती है.
सरकार बनाने की प्रक्रिया
लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, आमतौर पर जब किसी पार्टी या गठबंधन को उस सदन की कुल सीटों में से आधी से ज्यादा सीटों पर जीत मिलती है तो उसे बहुमत हासिल करना कहते हैं. इसे एक उधाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं. जैसे कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं. वैसे तो हर बार 403 सीटों पर ही चुनाव होता है लेकिन मान लीजिए चुनाव के दौरान 5 सीटों पर किसी भी कारणवश वोटिंग नहीं हो सकी. ऐसे में इन पांचों सीटों पर बाद में वोटिंग होंगी.
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यानी फिलहाल 398 उम्मीदवार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचेंगे. ऐसे में राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी या उसके गठबंधन के आधार पर उसके नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे और एक निश्चित समय के अंदर विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को कहेंगे. सबसे बड़ी पार्टी के नेता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रस्ताव रखेंगे. इसे ही 'विश्वास प्रस्ताव' कहते हैं. मान लीजिए कि विश्वास मत वाले दिन सभी विधायक सदन में मौजूद हैं और वोटिंग में हिस्सा भी लेते हैं. ऐसे में 50%+1 के के हिसाब से 398 विधायकों का बहुमत पाने के लिए 199+1 यानी 200 विधायकों के सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी जो बहुमत का आंकड़ा होगा.
बहुमत की सरकार क्या होती हैं
किसी संसदीय व्यवस्था मे संसद या विधानसभा में सबसे ज्यादा सदस्यों वाले दल के द्वारा पूर्ण बहुमत जुटाकर बनाई गई सरकार को 'बहुमत की सरकार' कहते हैं. बहुमत के लिये जरूरी आंकलनों के होने की वजह से किसी अल्पमत की सरकार की तुलना में ये सरकार ज्यादा स्थायी होती है.
बहुमत की सरकार के पास अपने प्रस्ताव पारित कराने के सबसे ज्यादा संभावनाएँ होती हैं, और इनके विधेयक कभी कभार ही सदन में हारते हैं. इसकी तुलना में एक अल्पमत की सरकार को अपने विधेयक पारित कराने और अपनी बात मनवाने के लिये लगातार साथी और विरोधी दलों से मोल-भाव करते रहना पड़ता है. ऐसे में भ्रष्टाचार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
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