बच्चों को लेकर आप बनाते हैं कोई VIDEO, तो जान लें NCPCR की ये गाइडलाइन
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बच्चों को लेकर आप बनाते हैं कोई VIDEO, तो जान लें NCPCR की ये गाइडलाइन

Guideline for child artist: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मनोरंजन उद्योग में बाल कलाकारों की सुरक्षा के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए. 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने फिल्म, टीवी, रियलिटी शो, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े चाइल्ड आर्टिस्टों के शोषण से मुक्ति के लिए गाइडलाइन का एक मसौदा तैयार किया है. एनसीपीसीआर ने य गाइडलाइन इसलिए जारी किया है  ताकि कामकाज का एक हेल्दी माहौल बनाया जाए और बाल कलाकारों को शारीरिक और दिमागी तनाव से दूर रखा जा सके. 

एनसीपीसीआर का नया गाइडलाइन  

किसी भी नाबालिग को मुसलसल 27 दिनों से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए.
बच्चे की आमदनी का 20 फीसदी सावधि जमा खाते में जमा करना होगा.
निर्माताओं को किसी शूटिंग में बच्चे को शामिल करने के लिए संबंधित जिला मजिस्ट्रेट से इजाजत हासिल करने की जरूरत होगी.
इजाजत लेते वक्त इस बात का आश्वासन देना होगा कि बच्चों के शोषण या उत्पीड़न से रोकने के उपाय सुनिश्चित किए गए हैं.
बच्चे को प्रत्येक तीन घंटे के बाद एक ब्रेक देना होगा और रोजाना उसे एक से ज्यादा पाली में काम नहीं कराया जाएगा.
बाल कलाकार को बंधुआ मजदूर प्रणाली (उन्मूलन) कानून, 1976 के तहत बंधुआ मजदूरी के लिए कोई करार नहीं किया जाएगा.
निर्माता को यह यकीन दिलाना होगा कि शूटिंग में लगे बच्चों की स्कूली तालीम मुतासिर न हो.
मनोरंजन इंडस्ट्री में काम की वजह से स्कूल में गैर हाजिर रहे बच्चे को निर्माता द्वारा नियुक्त एक निजी ट्यूटर द्वारा पढ़ाया जाएगा.
प्रोडक्शन इकाइयों को यह भरोसा दिलाना होगा कि बाल कलाकारों के लिए काम का माहौल महफूज हो और उन्हें हानिकारक रौशनी, परेशान करने वाले या हानिकारक सौंदर्य प्रसाधनों के संपर्क में नहीं आना चाहिए.
यह यकीनी किया जाना चाहिए कि सुविधाएं सभी बच्चे की उम्र और जरूरतों के हिसाब से हों और उन्हें वयस्कों, विशेष रूप से विपरीत लिंग के साथ ड्रेसिंग स्पेस या कमरे शेयर करने नहीं दिया जाना चाहिए.
बच्चों को शराब, स्मोकिंग या किसी भी असामाजिक गतिविधि और आपराधिक व्यवहार में लिप्त नहीं दिखाया जाना चाहिए.
किसी भी बच्चे को नग्नता से जुड़ी किसी भी हालत में प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए और बाल शोषण के शिकार लोगों पर आधारित कार्यक्रमों में संवेदनशीलता दिखाई जानी चाहिए.

संबंधित कानूनों में कई संशोधन हुए हैं
गौरतलब है कि 2011 में पैनल द्वारा जारी पिछली गाइडलाइन के बाद से, संबंधित कानूनों में कई संशोधन हुए हैं. साथ ही, किशोर न्याय अधिनियम, 2015, बाल श्रम संशोधन अधिनियम, 2016, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 के नियमों के तहत बच्चों को अपराधों से बचाने के लिए कुछ नए कानून बनाए गए हैं. 

 

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