साबिक विदेश मंत्री और पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि भारत को ‘‘इंतजार करो और देखो’’ की नीति अपनानी चाहिए और उसकी सरकार को मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
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नई दिल्लीः साबिक विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि भारत को तालिबान के साथ ‘‘खुले दिमाग’’ से निपटना चाहिए और सुझाव दिया कि इसे काबुल में अपना दूतावास खोलना चाहिए और राजदूत को वापस भेजना चाहिए. सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा कि अफगानिस्तान के लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं जबकि पाकिस्तान उनके बीच लोकप्रिय नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि तालिबान ‘‘पाकिस्तान की गोद में बैठ जाएगा’’ क्योंकि हर देश अपने हित की सोचता है. भारत को बड़ा देश होने के नाते तालिबान के साथ मुद्दों को विश्वास के साथ उठाना चाहिए और ‘‘विधवा विलाप’’ नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर कब्जा हो जाएगा या उसको वहां बढ़त मिलेगी. सिन्हा ने कहा कि सच्चाई यह है कि तालिबान का अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण है और भारत को ‘‘इंतजार करो एवं देखो’’ की नीति अपनानी चाहिए और उसकी सरकार को मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
वर्तमान तालिबान पहले से परिपक्व दिख रहा है
सिन्हा ने कहा कि 2021 का तालिबान 2001 के तालिबान की तरह नहीं है. कुछ अलग मालूम होता है. वे परिपक्व बयान दे रहे हैं. हमें उस पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि उन्हें उनके पिछले व्यवहार को देखते हुए खारिज नहीं करना चाहिए. हमें वर्तमान और भविष्य को देखना है. गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सिन्हा विदेश मंत्री थे लेकिन वह मोदी सरकार के आलोचक हो गए थे और उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी.
भारत को अपना दूतावास बंद नहीं करना चाहिए
यशवंत सिन्हा वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा है कि तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद भारत को दूतावास बंद करने और अपने लोगों को वहां से निकालने के बजाए इंतजार करना चाहिए था. गौरतलब है कि भारत ने बढ़ते तनाव को देखते हुए मंगलवार को अपने राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और काबुल दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था. इसके अलावा भारत अफगानिस्तान में फंसे आम भारतीयों को भी वापस बुलाने की योजना पर काम कर रहा है.
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