Javed Saba Poetry: जावेद सबा पाकिस्तान के जाने माने शायर हैं. उनकी गजल 'बड़ी मुश्किल से छिपाया है कोई देख न ले' बहुत मशहूर है. पढ़ें उनके चुनिंदा शेर.
Trending Photos
Javed Saba Poetry: जावेद सबा उर्दू के अच्छे शायर हैं. वह 3 मई साल 1958 में कराची में पैदा हुए. उनके कुछ काम जो छपे हैं उनमें 'आलम मेरे दिल का', 'कोई न देख ले' और 'आलमी उर्दू कांफ्रेंस'. उनकी नज्म 'कहीं भी छिड़क दो ये रोटी के बीज' बहुत मशहूर है.
देखे थे जितने ख़्वाब ठिकाने लगा दिए
तुम ने तो आते आते ज़माने लगा दिए
तेरा मेरा कोई रिश्ता तो नहीं है लेकिन
मैं ने जो ख़्वाब में देखा है कोई देख न ले
ये जो महफ़िल में मिरे नाम से मौजूद हूँ मैं
मैं नहीं हूँ मिरा धोका है कोई देख न ले
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें
गुज़र रही थी ज़िंदगी गुज़र रही है ज़िंदगी
नशेब के बग़ैर भी फ़राज़ के बग़ैर भी
एक ही फूल से सब फूलों की ख़ुश्बू आए
और ये जादू उसे आए जिसे उर्दू आए
यह भी पढ़ें: "ये जो सर नीचे किए बैठे हैं, जान कितनों की लिए बैठे हैं"
ये जो मिलाते फिरते हो तुम हर किसी से हाथ
ऐसा न हो कि धोना पड़े ज़िंदगी से हाथ
ये कह के उस ने मुझे मख़मसे में डाल दिया
मिलाओ हाथ अगर वाक़ई मोहब्बत है
जाने वाले ने हमेशा की जुदाई दे कर
दिल को आँखों में धड़कने के लिए छोड़ दिया
आप से अब क्या छुपाना आप कोई ग़ैर हैं
हो चुका हूँ मैं किसी का आप भी हो जाइए
बर तरफ़ कर के तकल्लुफ़ इक तरफ़ हो जाइए
मुस्तक़िल मिल जाइए या मुस्तक़िल खो जाइए
उस ने आँचल से निकाली मिरी गुम-गश्ता बयाज़
और चुपके से मोहब्बत का वरक़ मोड़ दिया
इस तरह की खबरें पढ़ने के लिए zeesalaam.in पर जाएं.