जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में मुजरिमों को नहीं हुई फांसी; कोर्ट ने सुनाई ये सज़ा
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जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में मुजरिमों को नहीं हुई फांसी; कोर्ट ने सुनाई ये सज़ा

Journalist Soumya Vishwanathan Murder case: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 दिसंबर साल 2008 को दिल्ली के नेल्सन मंडेला रोड पर कर दी गई थी. अब दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इस वारदात को अंजाम देने वाले चार मुजरिमों को उम्र कैद की सजा सुनाई है.

 

जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में मुजरिमों को नहीं हुई फांसी; कोर्ट ने सुनाई ये सज़ा

Journalist Soumya Vishwanathan Murder case: जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में दिल्ली की एक अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सजा का ऐलान करते हुए चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. अदालत ने पहले ही सभी मुल्जिमों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलबीर मलिक और अजय कुमार मर्डर करने के इल्जाम में मुजरिम करार दिया था. जिसके बाद अदालत ने आज सजा तय की. 

अदालत ने इससे पहले शुक्रवार, 24 नवंबर को सुनवाई करते हुए सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि पत्रकार सौम्या विश्वनाथन का मर्डर 30 दिसंबर साल 2008 को दिल्ली के नेल्सन मंडेला रोड पर कर दिया गया थ. चारों मुजरिमों ने इस वारदात को उस वक्त अंजाम दिया था, जब सौम्या नाइट शिफ्ट में ड्यूटी करके अपने घर वापस लौट रही थीं.

पुलिस ने चार्जशीट में कहा
दिल्ली पुलिस ने अपने चार्जशीट में दावा किया था सौम्या का मर्डर करने का मकसद लूटपाट था. अदालत के हुक्म के बाद वारदात को अंजाम देने वाले सभी मुल्जिम मार्च 2009 से जेल में हैं. पुलिस ने चारों मिल्जिमों के खिलाफ मकोका के तहत भी केस दर्ज किया था.

वारदात के वक्त सभी मुल्जिम नशे में थे धुत 
पुलिस पूछताछ में ये बात सामने निकल कर आई थी कि वारदात के वक्त सभी मुल्जिम शराब के नशे में थे. इन मुल्जिमों की नज़र जैसे ही अकेले जा रही पत्रकार विश्वनाथन पर पड़ी तो सभी ने उनके कार का पीछा करना शुरू कर दिया, जब वह नहीं रूकी तो उन पर रवि कपूर ने फायरिंग कर दी और गोली सीधे पत्रकार को लग गई.

वारदात को अंजाम देने के बाद सभी लोग फरार हो गए. हालंकि, बाद में सभी फिर से एक बार घटनास्थल पर जायजा लेने पहुंचे थे,लेकिन वहीं पर भारी पुलिस बल को देख कर सभी भाग गए. पुलिस ने मुल्जिमों पता लगाने के लिए फोरेंसिक सबूत इकट्ठा किए और फिर कई महीने बाद उन मु्ल्जिमों तक पहुंचने में कामयाबी मिली.

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